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बाल विवाह होने और दहेज लेने पर जाएगी पंचायत के मुखिया-वार्ड मेंबर की कुर्सी, CM नीतीश का नया कानून

जिस पंचायत में बाल विवाह होगा वहां के मुखिया हटाए जाएंगे। सरकार ने बाल विवाह और दहेज उन्मूलन में मुखिया और अन्य पंचायत प्रतिनिधियों की भागीदारी एवं भूमिका के संबंध में कड़ा दिशा-निर्देश जारी किया है। ग्राम पंचायत के किसी वार्ड में बाल विवाह का मामला प्रकाश में आने की स्थिति में संबंधित वार्ड सदस्य एवं मुखिया जिम्मेवार माने जायेंगे और उस आरोप में मुखिया को पद से हटाने की कार्रवाई की जायेगी।

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पंचायती राज मंत्री सम्राट चौधरी ने बाल विवाह और दहेज उन्मूलन में समाज को सशक्त करने की बात करते हुए कहा कि बाल विवाह और दहेज प्रथा गंभीर सामाजिक बुराई हैं जिसे लेकर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने वर्ष 2021-22 से ही बाल विवाह और दहेज प्रथा के गंभीर मुद्दों पर राज्यव्यापी समाज सुधार अभियान शुरू किया है। बिहार पंचायत राज अधिनियम, 2006 के तहत ग्राम पंचायत एवं पंचायत समिति को महिला एवं बाल कार्यक्रमों में सहभागिता करने का दायित्व सौंपा गया है। ग्राम पंचायत के प्रधान यानी मुखिया को बाल विवाह की सूचना प्राप्त कर अग्रसारित करने वाले माध्यम के रूप में चिन्हित किया गया है। मुखिया एवं अन्य पंचायत प्रतिनिधियों के स्तर पर की गई इस पहल को उनके समग्र कार्य मूल्यांकन में शामिल किया जायेगा और सम्मानित किया जायेगा।

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डीएम के सहयोग से मुखिया निषेधाज्ञा लगवा शादी रोकेंगे
बाल विवाह की जानकारी मिलते ही मुखिया तुरंत उसकी सूचना बीडीओ (सहायक बाल विवाह निषेध पदाधिकारी) और एसडीओ (बाल विवाह निषेध पदाधिकारी) को देंगे। दहेज लेन-देन से संबंधित मामला संज्ञान में आने पर जिला कल्याण पदाधिकारी (दहेज प्रतिषेध पदाधिकारी) को सूचित करेंगे। बिहार विवाह पंजीकरण नियमावली, 2006 में मुखिया द्वारा विवाह पंजीकरण करने पर ही विवाह वैध माना जाता है।

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