NEW DELHI : अमेरिका-चीन के साथ मिलकर पहली बार ऐसा कदम उठा रहा भारत, पेट्रोल-डीजल सस्ता करने के लिए रिजर्व भंडार खुलेंगे : आपदा, युद्ध आदि के दौरान आपूर्ति में किसी तरह की दिक्कत न आए इसके लिए रणनीतिक तेल भंडार बनाए जाते हैं। भारत अन्य देशों के साथ मिलकर इससे पेट्रो पदार्थों की निकासी कर रहा ताकि तेल उत्पादक ओपेक देशों पर दबाव बने और वे कीमतें कम करें। दबाव के बाद ओपेक देशों ने फिर से उत्पादन बढ़ाना शुरू कर दिया है पर उस गति से नहीं जैसा कि अमेरिका चाहता है। उत्पादन बढ़ाने की योजना का ओपेक केसदस्य देश रूस ने यह कहकर विरोध किया कि इससे कच्चे तेल की भरमार हो जाएगी।
अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमतों में लगातार वृद्धि के बीच भारत अपने रणनीतिक तेल भंडार से 50 लाख बैरल कच्चा तेल निकालेगा। सरकार ने यह फैसला अमेरिका, जापान समेत दूसरी बड़ी अर्थव्यवस्थाओं के साथ तालमेल कर लिया है, ताकि कच्चे तेल की कीमतों में कमी आ सके। यह पहला मौका है जब भारत रणनीतिक भंडार से कच्चे तेल की निकासी करेगा।
पेट्रोलियम मंत्रालय ने मंगलवार को कहा कि यह फैसला अमेरिका, चीन, जापान और दक्षिण कोरिया जैसे प्रमुख तेल उपभोक्ता देशों के साथ तालमेल बनाकर उठाया गया है। भारत का दृढ़ मत है कि पेट्रो पदार्थों के दाम तर्कसंगत होने चाहिए। भारत ने बार-बार इस बात पर चिंता जताई है कि तेल उत्पादक देश तेल की आपूर्ति को कृत्रिम ढंग से मांग से कम रखते हैं। इससे कीमतें बढ़ती हैं और नकारात्मक नतीजे दिखते हैं। रणनीतिक भंडार से निकाले जाने वाले कच्चे तेल को मंगलोर रिफाइनरी एंड पेट्रोकेमिकल्स लिमिटेड और हिंदुस्तान पेट्रोलियम कॉरपोरेशन लि. को बेचा जाएगा। ये दोनों रिफाइनरी पाइपलाइन के जरिये तेल भंडार से जुड़ी हुई हैं। हफ्ते-दस दिन में यह प्रक्रिया शुरू हो जाएगी। देश में पश्चिमी व पूर्वी, दोनों तटों पर तेल भंडार मौजूद हैं। इनकी कुल क्षमता 3.8 करोड़ बैरल की है। बता दें ,तेल निर्यातक देशों के समूह ओपेक ने कच्चे तेल का उत्पादन बढ़ाने का उपभोक्ता देशों का अनुरोध ठुकरा दिया था। इसके बाद अमेरिका ने दुनिया के प्रमुख उपभोक्ता देशों को यह सुझाव दिया था।
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