भागलपुर के किसान परिवार के बेटे राकेश कुमार दीपक ने जज बनकर अपना परचम लहराया है। हालांकि उनके पिता अपने साले के एक केस में फंसने के कारण वकील बनाना चाहते थे, लेकिन दीपक ने जज बनकर सपना पूरा किया है।
बिहार में हुई 31वीं न्यायिक सेवा की परीक्षा का परिणाम आ चुका है। इसमें भागलपुर जिले के बिहपुर विधानसभा क्षेत्र अंतर्गत अरसंडी गांव के मध्यमवर्गीय किसान परिवार के बेटे राकेश कुमार दीपक ने जज बनकर अपना परचम लहराया है।
उनके जज बनने के पीछे भी दिलचस्प कहानी छिपी हुई है। दरअसल दीपक के पिता चाहते थे कि उनका बेटा वकील बने, लेकिन वह जज बन गया।
बता दें कि कुछ वर्ष पूर्व कुछ लोगों ने दीपक के मामा को गलत तरीके से किसी केस में फंसा दिया था, तो इसी दौरान उनके पिता का भी देहांत हो गया।
इस बीच अपने पिता की इच्छा और मामा को परेशान देखकर दीपक के मन में न्यायिक क्षेत्र में आने की बात आई। इसके साथ उन्होंने ठान लिया कि अब किसी भी निर्दोष व्यक्ति को अदालत के चक्कर नहीं लगाने दिए जाएंगे।
जज बनने से पहले नवगछिया कोर्ट में दो साल की प्रैक्टिस
राकेश बताते हैं कि उन्होंने अपनी पूरी तैयारी घर में रहकर की है. सेल्फ स्टडी पर पूरा विश्वास रखा, तो भागलपुर के कुछ शिक्षकों से मार्गदर्शन भी लिया। उन्होंने बताया कि वह अपने दो भाई और तीन बहनों में सबसे बड़े हैं।
पिता की मृत्यु के बाद परिवार का पूरा दायित्व सिर पर आ गया था। परिवार की माली हालत कुछ ठीक नहीं थी, इसलिए 2 साल तक नवगछिया सिविल कोर्ट में प्रैक्टिस की।
प्रैक्टिस के साथ जज के एग्जाम की भी तैयारी जारी रखी। तैयारी में कोई कमी न रह जाए, इसलिए अपने घर को ही लाइब्रेरी बना डाला। वहीं, किताबों के साथ पढ़ाई के लिए यूट्यूब की भी मदद ली। दीपक की रैंक 383 है।
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छोटी बहन भी भाई की उपलब्धि से खुश
राकेश बताते हैं कि वह अपने खाली समय में घर पर ही रहना पसंद करते हैं और अपनी छत पर गमलों में फूल लगाना पसंद करते हैं। उन्होंने अपनी छत पर एक छोटी बागवानी तैयार कर रखी है।
जबकि राकेश की छोटी बहन प्रिया कहती हैं कि वह अपने बड़े भाई की इस उपलब्धि से बेहद खुश है। बड़े भाई ने गांव के साथ इस इलाके में कद और भी बढ़ा दिया है। अब पूरे गांव के साथ आस-पास के इलाके में लोग उन्हें जानने और पहचानने लगेंगे।
संघर्ष और समर्पण से मिली राकेश को सफलता
राकेश की मां नूतन देवी ने बताया कि पति की मौत के बाद बड़ा झटका लगा था, लेकिन उसने परिवार को समेटे रखा और पिता का भी रोल खुद ही निभाया। कभी भी पिता की कमी नहीं होने दी।
बेटे की इस सफलता पर मां ने खुशी जाहिर करते हुए कहा कि राकेश को उसके संघर्ष और समर्पण के कारण सफलता मिली है। उसका लक्ष्य स्पष्ट था और इस दिशा में लगातार मेहनत करता रहा।
परिवार में ऐसी घटनाओं का सामना करना पड़ा था जिस वजह से पिता ने अपने बेटे को वकील बनाने का सपना संजोया था। इस बीच पिता की मौत हो गई। वहीं, बेटे ने पिता की अंतिम इच्छा सोचकर पिता का का सपना साकार किया और जज बन बैठा।