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पिता बनाते है पंचर, बेटा BPSC में 80वां रैंक लाकर बना अफसर, बोले शमीम बेटे ने जिंदगी की पंचर बना दी

बीपीएससी में 80वां रैंक लाने वाले हदीद का परिवार आर्थिक रूप से काफी कमजोर है। उनके पिता ने बताया कि हदीद बचपन से ही पढ़ने में काफी अच्छे थे। गांव के स्कूल से मैट्रिक पास की थी। हदीद का चयन ग्रामीण विकास विभाग के लिए हुआ है। उन्हें बीडीओ का पद मिलेगा।

बिहार के जमुई के सिकंदरा में पंचर बनाने वाले शमीम खान को बुधवार शाम तक कोई पहचानता तक नहीं था। लेकिन अब उनके घर पर बधाई देने वालों की लाइन लगी हुई है।

शमीम अब पंचर बनाने वाले नहीं बल्कि बीडीओ हदीद खान के पिता हो गए हैं। बीपीएससी परीक्षा में 80वां रैंक लानेवाले हदीद खान जमुई जिले के सिकंदरा इलाके के पोहे गांव के रहने वाले हैं।

हदीद के पिता शमीम खान वर्षों से सिकंदरा में एक पेट्रोल पंप के आगे फुटपाथ पर पंक्चर ठीक करने का काम करते हैं। बेटे के बीपीएससी में पास होने पर पिता ने कहा कि उन्हें अपने बच्चे पर भरोसा था। उन्होंने कहा कि मैं लोगों की गाड़ियों के टायर का पंचर बनाता था। मेरे बेटे ने जिंदगी का पंचर बना दिया।

Hadids father, Shamim Khan, has been repairing punctures on the pavement in front of a petrol pump in Sikandra for years.
हदीद के पिता शमीम खान वर्षों से सिकंदरा में एक पेट्रोल पंप के आगे फुटपाथ पर पंक्चर ठीक करने का काम करते हैं

हदीद का परिवार आर्थिक रूप से है काफी कमजोर 

बीपीएससी में 80वां रैंक लाने वाले हदीद का परिवार आर्थिक रूप से काफी कमजोर है। उनके पिता ने बताया कि हदीद बचपन से ही पढ़ने में काफी अच्छे थे। गांव के स्कूल से मैट्रिक पास की थी।

उस वक्त कक्षा में सबसे ज्यादा नंबर हदीद के ही आए थे। हदीद ने कभी अपने आर्थिक तंगी को अपनी पढ़ाई लिखाई में बाधा बनने नहीं दिया। पहली बार बीपीएससी की परीक्षा दी थी।

पहली ही बार में उसने हमारी पंचर जिंदगी ठीक कर दी। अब जिंदगी की गाड़ी ठीक से चलेगी। हदीद का चयन ग्रामीण विकास विभाग के लिए हुआ है। उन्हें बीडीओ का पद मिलेगा।

Hadids family, who got 80th rank in BPSC, is financially very weak
बीपीएससी में 80वां रैंक लाने वाले हदीद का परिवार आर्थिक रूप से काफी कमजोर

पिता की प्रेरणा से पाया मुकाम: हदीद खान

हदीद ने अपनी सफलता का श्रेय अपने पिता को दिया है। उन्होंने कहा कि उनके पिता ही उनकी प्रेरणा है। सड़क के किनारे जमीन पर बैठकर पंक्चर ठीक करते अपने पिता की मेहनत देखकर ही मैंने अपना सारा ध्यान पढ़ाई-लिखाई में लगाया।

मन में ठान लिया था कि एक दिन अधिकारी बनकर दिखाऊंगा। शमीम बताते हैं कि उनका बेटा अब अधिकारी बन गया है फिर भी वो पंचर बनाएंगे।

पंचर बनाना मेरा पेशा है और आदमी को अपने जमीन से जुड़े रहना चाहिए। पहले पंचर बनाना मेरे मजबूरी थी, अब अपना वक्त काटने के लिए पंचर बनाऊंगा।

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