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नीतीश को अपमानित करने के लिए RJD ने लगाया पोस्टर, लिखा- मैं कुर्सी के लिए कुछ भी करेगा

तेरी मिट्टी में मिल जावां…एक बार फिर बिहार को बदनाम करने की घिनौनी हरकत शुरू कर दी गई है। लखनऊ के मंच पर चाचा कमर के बल क्या झुके, उनके डीएनए पर सवाल उठाया जा रहा है। पत्रकारों की क्या मजाल, सोशल मीडिया वाले हाय-तौबा मचा रखे हैं। कोई कह रहा है कि डीएनए में गड़बड़ी की वजह से चाचा जरूरत से कहीं ज्यादा झुक गए। कोई कह रहा है कि उम्र का तकाजा है। चाचा एक्टिंग नहीं कर रहे, इस उम्र में नहीं चाहते हुए भी झुकना पड़ता है। मेरा मन कहता है कि यह सब योगा का कमाल है।

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चाचा का योग बाबा के योग से अलग है। बाबा तो सुस्ती दूर करने और सेहत में सुधार के लिए तरह-तरह के योगासन कराते हैं। उससे इतर हमारे चाचा सत्ता के हठयोगी हैं। हठयोगी भी एक तरह के सन्यासी होते हैं। कसमों-वादों जैसी सांसारिकता से ऊपर की चीज होते हैं। अपने किसी प्रण के पीछे लकीर के फकीर बने नहीं फिरते हैं। हठयोगी मिट्टी में मिल जाना पसंद करते हैं, लेकिन किसी के सामने झुकते नहीं हैं। हां, वक्त और हालात का तकाजा समझते हुए झुकने की एक्टिंग करते हैं। बस सामने वाले योगी को भ्रम होता है कि हठयोगी उनके सामने झुक रहा है, लेकिन चाचा सब के सामने नतमस्तक नहीं होते हैं।

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वे सिर्फ उनके सामने झुकते हैं, जिनसे आंखें मिलाने की हैसियत नहीं रही। वैसे हठयोगी किसी के नहीं हो सकते। ऐसा कोई सगा नहीं, जिसे चाचा ने ठगा नहीं।आने वाला वक्त एक बार फिर गवाही देगा कि हठयोगी पत्ता बिछाकर उठाना जानते हैं। मुझे पूरा विश्वास है कि हठयोगी दाढ़ी वाले साधु के सामने झुकने की एक्टिंग करते हुए एक बार फिर गच्चा देंगे। राजनीति में मान-सम्मान और स्वाभिमान जैसी फालतू चीजों के लिए जगह नहीं होती है। आप झुकना सीख गए तो अधिक दिनों तक सत्ता के शिखर पर चिपके रह सकते हैं। उनके लिए कुर्सी अजर-अमर हो जाती है। अकरब मरे न छुतहर फूटे। सत्ता की हांडी फूटने का नाम नहीं लेती है।

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तो भाइयों, लखनऊ में बिहारी कमर इस तरह झुक गई कि मेरा दिल बाग-बाग हो गया। हम भाग्यशाली हैं। हमारी आंखों ने लखनऊ के मंच पर बिहारी स्वाभिमान को मिट्टी में मिलते देखने का सुख पाया है। राष्ट्रपति की कुर्सी मिले न मिले, हमें राष्ट्रवाद की बेदी पर झुकने से कौन रोक सकता है। वह तो एक परम वैभव का क्षण था। हमारे चाचा के हृदय में एक गीत तरंगित हो उठा-तेरी मिट्टी में मिल जावां/गुल बनके मैं खिल जावां/इतनी सी है दिल की आरजू!

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मेरी सभी भाइयों से गुजारिश है कि इस राज पर पर्दा डाले रखिए। किसी को कानो कान खबर नहीं होनी चाहिए कि हठयोगी रंग बदलने में गिरगिट के भी नाना है। उनकी माया अपरम्पार है। कोई माई का लाल भविष्यवाणी नहीं कर सकता है कि हठयोगी कब किसके सामने से भोज का पत्ता उठा लेंगे और कब किसके कदमों में पलकें बिछा देंगे।

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