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नए संसद भवन के निर्माण पर ग्रहण, सुप्रीम कोर्ट ने कहा- फैसले तक नहीं रखी जाएगी एक भी ईंट

सुप्रीम कोर्ट ने सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट के तहत नए संसद भवन के निर्माण की योजना पर अगले आदेश तक रोक लगा दी है. इस मामले से जुड़ी एक याचिका पर सुनवाई के दौरान शीर्ष अदालत ने नए संसद भवन के निर्माण की शुरुआत करने के लिए किए जाने वाले समारोह की घोषणा को लेकर केंद्र सरकार पर कड़ा असंतोष व्यक्त किया. गौरतलब है कि सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट को मोदी सरकार की एक अहम परियोजना मानी जा रही है. इसके तहत नए संसद भवन के साथ कई अन्य भवनों का निर्माण किया जाना है. इसके लिए मौजूदा संसद भवन के आसपास के इलाके में काफी बदलाव भी किया जाएगा.

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इस रीडेवलपमेंट प्लान से जुड़े कई मुद्दे शीर्ष अदालत में विचाराधीन हैं. जस्टिस ए.एम. खानविलकर ने कहा कि अदालत को उम्मीद थी कि वह एक विवेकपूर्ण मुकदमे पर सुनवाई कर रही है लेकिन प्रतिवादी ने इससे अलग ही नजरिया दिखाया. पीठ ने कहा, “आप कागजी कार्रवाई करें या नींव का पत्थर रखें, इससे हमें कोई आपत्ति नहीं है लेकिन कोई निर्माण नहीं होना चाहिए.”

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बता दें कि लोकसभा अध्यक्ष ओम बिड़ला ने नए संसद भवन के गुरुवार को भूमिपूजन की योजना की घोषणा की थी. इसे लेकर बेंच ने कहा कि ऐसा नहीं सोचा था कि केन्द्र इसके निर्माण के लिए इतने आक्रामक तरीके से आगे बढ़ेगा. केन्द्र का प्रतिनिधित्व कर रहे सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता से कोर्ट ने कहा कि केंद्र सरकार को यह निर्देश स्पष्ट तौर पर समझना चाहिए कि जब तक मामला अदालत द्वारा तय नहीं किया जाता है, तब तक कोई निर्माण कार्य नहीं होगा. मेहता ने शीर्ष अदालत को बताया कि जब तक कि अदालत अपना फैसला नहीं दे देती तब तक सेंट्रल विस्टा में कोई निर्माण, तोड़फोड़ या पेड़ों की शिफ्टिंग नहीं होगी।

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बता दें कि 5 नवंबर को शीर्ष अदालत ने इस प्रोजेक्ट को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर फैसला सुरक्षित रखा था, जिनमें आरोप लगाया गया था कि भूमि के उपयोग में अवैध रूप से बदलाव किया गया है और अदालत से इस प्रोजेक्ट को रद्द करने का आग्रह किया. याचिकाकर्ताओं ने पुनर्विकास के लिए भूमि उपयोग में बदलाव को लेकर 21 दिसंबर, 2019 को दिल्ली विकास प्राधिकरण (डीडीए) द्वारा जारी की गई एक अधिसूचना को चुनौती दी है.

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