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दरसल पंचायती राज विभाग द्वारा प्रस्ताव तैयार कर लिया गया है।शहरी इलाकों के बाद अब गांवों में भी घर-घर गीले और सूखे कचरे के लिए डस्टबिन बांटे जाएंगे। 15वें वित्त आयोग के तहत मिली राशि से डस्टबिन बांटने क्व काम वार्ड प्रबंधन एवं क्रियान्वयन समिति कराएगी। इसके साथ ही हर वार्ड में कूड़ा उठाव के लिए एक-एक साइकिल रिक्शा की खरीदारी की जाएगी। जिससे कूड़े का संग्रहण किया जाएगा। लोहिया ग्राम स्वच्छता अभियान के अंतर्गत इसे ग्रामीण विकास एवं पंचायती राज विभाग संयुक्त रूप से दोनो इस योजना को संचालित करेगा। पंचायती राज मंत्री सम्राट चौधरी ने बताया कि प्रत्येक गांव एवं पंचायत स्तर पर एक कूड़ा संग्रहण केंद्र जगह का चुनाव किया जाना है। तथा इसी के साथ प्रत्येक घर से सूखा एवं गीला कचरे का अलग-अलग संग्रहण किया जाएगा। कचरों को इकट्ठा करने के बाद उसे चयनित स्थल पर लाकर रखा जाएगा। इसके लिए हर एक घर वालों को 2 डस्टबिन एक नीला एवं एक पीला दिए जाएंगे। चयनित संग्रहण केंद्र पर अवशिष्ट पदार्थों को अलग-अलग रखा जाएगा। प्लास्टिक जो कचरे के रूप में संग्रहित होगा उसको सड़क निर्माण करने वाली कंपनी ले जाएगी, जबकि सूखे कचरे रिसाइकल कर उपयोग में लाया जाएगा। वहीं गीले कचरे से जैविक खाद का बनाया जाएगा। मंत्री ने बताया कि इस कूड़ा उठाव से हर घरों में स्वच्छता बढ़ेगी और ग्रामीणों को कई बीमारियों से निजात मिल सकेगी। बीडीओ और बीपीआरओ पर संयुक्त रूप से योजना को धरातल उतारे और अमलीजामा पहनाने की जिम्मेदारी होगी। इसके लिए मुखिया से समन्वय स्थापित कर पंचायतों की बैठक कराने की जिम्मेवारी दी जाएगी। मनरेगा के अंतर्गत कचरा प्रसंस्करण इकाई (वेस्ट प्रोसेसिंग यूनिट) का भी निर्माण होगा।

नीरश राजपूत मध्य प्रदेश के निवासी है। उनके पिता दर्जी थे। उनके हालत बहुत खबर थे यह तक उन्होंने पेपर भी बेचने का कार्य किया। परंतु फिर भी हिम्मत नहीं हारी कठिन परिश्रम करते रहे और इंडियन सिविल सर्विसज़ एग्जाम को क्लियर करके दिखा दिया।

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यूपीसीएस को देश का सबसे कठिन एग्जाम माना गया है। परंतु ज़िंदगी की कठिनाइयां इतनी बड़ी हो जाती है कि ऐसे एग्जाम उसके सामने फीकी पड़ने लगते है। कुछ इसी प्रकार से नीरज राजपूत की स्टोरी है।

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फीस भरने के लिए बांटे अखबार
नीरीश के परिवार की फाइनेंशियल कंडीशन अच्छी नहीं थी। नीरज के पिता दर्जी का कार्य किया करते थे। इसी की दिक्कतों के कारण नीरीश ने अपनी शिक्षा गवर्नमेंट स्कूल से पूरा किया। ऐसे में नीरीज अखबार वितरण का कार्य किया करते थे। स्नातन के हेतु जब वह ग्वालियर गए , तो फिर शिक्षा के सहित पार्ट टाइम नोकरी भी की। विशेस बात यह है कि निराश B.Sc और M.Sc दोनों में टॉप किया।

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धोखे ने ज़िंदगी बदल दी
यूपीएससी की प्रिपरेशन के वक्त उनके के एक मित्र ने कोचिंग सस्थान खोला। उसने नीरीश पढ़ने के हेतु कहा और बोला कि अगर इंसिट्यूज अच्छी चल जाएगी, तो वो मदद भी करेगा । परंतु 2 वर्ष बाद फिर कोचिंग संस्था अच्छी डेवलप होगी, तो उसने नीरीश को निकाल दिया। नीरीश ने उसी दिन अपनी जिंदगी को बदलने की ठान ली और कठिन परिश्रम करने लगे।

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बिना कोचिंग UPSC किया क्रैक
नीरीश अपने एक मित्र के यह दिल्ली रहने चले गए, जो यूपीएससी की ही प्रिपरेशन करता था। दोस्त के दिए हुए नोट्स से नीरीश ने प्रिपरेशन शुरू किया। परिस्थिति ये थी कि उनके पास कोचिंग में पढ़ने के भी पैसे नहीं थे। कठिन परिश्रम करके उन्होंने आखिरकार 370 रैंक प्राप्त कर नीरीश ने IAS बनकर दिखाया।

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