कंधार टूट कर गिर चुका है. हर गली हर नुक्कड़ पर तालिबान के लड़ाकू तैनात हैं. सरकारी कर्मचारी लगातार रिज़ाइन कर रहे हैं. ये हाल अफ़ग़निस्तान के लगभग हर शहर का है. इस वक़्त अंतर्राष्ट्रीय मीडिया का ध्यान सिर्फ़ तालिबान की कवरेज पर है. कई जगहों पर गभीर लड़ाइयां चल रही हैं, जबकि काबुल सहित कई जगहों पर सत्ता का स्थानांतरण ‘शान्तिपूर्वक तरीके’ किया गया, लेकिन इसे लेकर भी संशय है.
कई रिपोर्ट्स में ये सामने आया कि लोग अपने घर छोड़ कर जा चुके हैं, एयरपोर्ट पर लगी लम्बी कतारें इस बात की गवाह हैं. जिन-जिन इलाकों में तालिबान क़ब्ज़ा जमा चुका है, वहां अब उनके ‘इस्लाम’ के हिसाब से कट्टरपंथ की जड़ें जमाई जा रही हैं.
The Taliban now controls 25 of Afghanistan's 34 provinces. Given the fall of Daykundi & current state of play, @LongWarJournal assesses Samangan, Balkh & Baghlan as Taliban controlled. Given what we have witnessed, whatever resistance that may exist is immaterial. pic.twitter.com/6LLJQHu4TG
— Bill Roggio (@billroggio) August 15, 2021
अंधेरे में अफ़ग़ानी छात्रों का भविष्य
दक्षिण दिल्ली के लाजपत नगर में रह रहे फ़हीम दानिश अपने परिवार से बात करने की लगातार कोशिश कर रहे हैं. उनका परिवार अफ़ग़ानिस्तान के कंधार में है. वो परेशान लहज़े में कहते हैं, “न इंटरनेट चल रहा है, न फ़ोन पर बात हो पा रही है. मैं उनसे संपर्क करने की कोशिश कर रहा हूं… मुझे उनकी चिंता हो रही है.”
उसे न सिर्फ़ अपने परिवार और दोस्तों की चिंता है, बल्कि उसके सिर पर एक तलवार और लटक रही है. भारत में उसका स्टूडेंट वीज़ा एक महीने में एक्सपायर होने वाला है और वो इन हालातों में घर वापस नहीं जा सकता.
फ़हीम ने हाल ही में जामिया मिलिया से कन्वरर्जेंट जर्नलिज्म में मास्टर्स किया है. वो कहते हैं, “मेरा वीज़ा सितम्बर में ख़त्म हो रहा है लेकिन मैं वापस कैसे जाऊं ? कुछ समय बाद ही मैं भारत में कानूनी तौर पर नहीं रह सकता. मुझ जैसे कई हज़ार स्टूडेंट्स हैं जिनका भविष्य फ़िलहाल अन्धकार में है.”
2019 में फ़हीम ICCR स्कॉलरशिप पर भारत जर्नलिज्म पढ़ने आया था. ICCR हर साल कई अफ़ग़ान स्टूडेंट्स को स्कॉलरशिप देती है. ‘मुझे नहीं पता कि अब तालिबान के कब्ज़े के बाद ये स्कॉलरशिप जारी रहेगी या नहीं. इस वक़्त हमारे लिए सबसे बड़ी चुनौती अपने वीज़ा एक्सटेंड करवाना है.”
फ़हीम की पढ़ाई खत्म हो चुकी है और अब वो नौकरी ढूंढ सकता है लेकिन ऐसा करने के लिए उसे वर्क वीज़ा की ज़रूरत है. फ़िलहाल उसके पास स्टूडेंट वीज़ा है. “मुझे नहीं लगता कि मैं वर्क वीज़ा इतनी आसानी से हासिल कर पाऊंगा. रूल्स के मुताबिक, उसके लिए मुझे लगभग 25 हज़ार डॉलर कमाने होंगे.”
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A plea to Hon'ble @PMOIndia @narendramodi to launch an all-of-government operation to evacuate our friends and partners in Afghanistan.
History reminds us that nations are judged by the manner in which they treat their friends in difficult times. @DrSJaishankar— Amitabh Mattoo (@amitabhmattoo) August 14, 2021
फहीम के पिता अफ़ग़ानिस्तान सरकार के लिए काम करने से पहले यूनाइटेड नेशंस से जुड़े थे. उन्हें वतन के हालातों की वजह से काफी समय से सैलरी नहीं मिली है. अगर फ़हीम वापस कंधार भी जाता है, तो भी अपने परिवार की मदद नहीं कर पाएगा. “वहां किसी तरह की नौकरी नहीं है और अब तालिबान के सत्ता में आने के बाद क्या हालात होंगे, हम कह नहीं सकते. अगर मैं किसी तरह अफ़ग़ानिस्तान पहुंच गया तो भारत वापस नहीं आ पाऊंगा.”
Input: Indiatimes