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जय हो छठ मैया, पूजा में इन 10 नियमों का पालन है जरूरी, गलती होने पर भंग हो जाता है व्रत

Chhath Puja 2021 Rules: छठ पूजा में इन 10 नियमों का पालन है जरूरी, गलती होने पर भंग हो जाता है व्रत : Chhath Puja 2021 Rules: लोक पर्व छठ (Chhath Puja) हर साल कार्तिक मास के शुक्‍ल पक्ष की षष्‍ठी तिथि को पूरी श्रद्धा और संयम के साथ मनाया जाता है. इस बार छठ पूजा 10 नवंबर  2021 को है. बता दें कि ये सबसे कठिन व्रतों में से एक माना जाता है जिसे खासतौर पर बिहार और उत्‍तरप्रदेश के लोग मनाते हैं.

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हालांकि अब यह पर्व पूरे देश में जाना जाता है और लोग इसमें हिस्‍सा लेने और सूर्य देव (Surya Dev) को अर्घ्य देने के लिए अलग अलग घाटों पर पहुंचते हैं. इस दिन छठी मइया की पूरे विधि-विधान और कठोर नियमों (Rules) के साथ पूजा की जाती है. छठ पर्व के पहले दिन नहाय-खाए, दूसरे दिन खरना मनाया जाता है. जबकि षष्ठी की शाम यानी कि तीसरे दिन ढलते सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है और फिर अगली सुबह चौथे दिन उगते सूरज को अर्घ्य देने के साथ छठ पर्व का समापन किया जाता है.मान्यता है कि छठ का व्रत रखने से संतान की प्राप्ति होती है और संतान से जुड़े कष्टों का निवारण होता है.

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छठी मईया का प्रसाद बनाने के लिए प्रयोग में आने वाला अनाज घर पर धोकर, कूटकर और घर पर ही पीसकर बनाया जाता है. इसकी शुद्धता का विशेष ध्‍यान रखा जाता है. इस दौरान चिड़िया अनाज को जूठा ना करे इसका भी विशेष ध्‍यान रखा जाता है. अगर गलती से भी किसी का अनाज पर पैर पड़ जाए तो इसे अपशगुन माना जाता है.

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2.घर में गंदगी ना हो

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पूजा के दौरान झूठे बर्तन, गंदे कपड़ों का ढेर नहीं लगाना चाहिए. जिस जगह प्रसाद बन रहा वहां साधारण भोजन नहीं बनाया जाता है. साथ ही उस स्थान पर खाना भी वर्जित है.

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3.नया चूल्‍हा का प्रयोग

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छठी मैया का प्रसाद बनाते समय शुद्धता का सबसे ज्‍यादा ध्‍यान रखा जाता है. इसके लिए इसे हमेशा ऐसे चूल्हे पर बनाया जाता है जिसे रोज लीपा जा सके. ऐसे में घरों में मिट्टी के चुल्‍हे बनाने का पारंपरिक नियम है.अगर गैस का प्रयोग करना हो तो नया स्टोव का प्रयोग किया जाता है जिसे हर साल केवल छठ के दिन ही निकाला जाता है. नियम है कि पहले से बने चूल्हे पर छठ का प्रसाद नही बनाया जाता है.

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4.बिस्‍तर पर सोने की मनाही

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जो इंसान व्रती होता है उसे चार दिनों की छठ पूजा का व्रत रखना होता है और पलंग या तखत पर सोने की मनाही होती है. ऐसे में वह जमीन पर चटाई बिछाकर सो सकता है और कंबल आदि का प्रयोग कर सकता है.

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5.नेचुरल चीजों का प्रयोग

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पूजा के लिए बांस से बने सूप और टोकरी का ही इस्तेमाल करना होता है. छठ पूजा के दौरान कभी स्टील या शीशे के बर्तन प्रयोग नहीं करना चाहिए. प्रसाद भी शुद्ध घी में बनाया जाता है और फलों का ही प्रयोग किया जाता है.

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6.काम, क्रोध, मद, लोभ से दूरी

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व्रती को पूरे सप्‍ताह इस बात का ध्‍यान रखना चाहिए कि व्रत रखने के दौरान वह झूठी बातें, काम, क्रोध, लोभ, धूम्रपान आदि का प्रयोग ना करे.छठ पर्व के चारों दिनों पूर्ण ब्रह्मचर्य का पालन करना होता है. इसके अलावा आप कठोर भाषा या अपशब्‍द का प्रयोग करने से बचें.

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7.सात्विक भोजन

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छठ पूजा के दौरान घर में सात्विक खाना ही बनाना होता है. प्रसाद बनाते समय गलती से भी हाथ से नमक नहीं छूना चाहिए.व्रती और घर के सदस्य भी छठ पूजा के दौरान प्याज, लहसुन और मांस-मछली नहीं खा सकते हैं.

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8.व्रती की सेवा फलदाही

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जो महिलाएं या पुरुष छठ के दौरान व्रत रखते हैं उनकी सेवा करने पर काफी फल मिलता है. दरअसल मान्‍यता है कि छठ पूजा का व्रत रखने वाले व्रती बहुत पवित्र होते हैं इसलिए व्रती की सेवा करना फलदायी माना जाता है. ऐसे में लोग उसके कपड़ों को धोना, पूजा के दौरान उनकी मदद करना आदि शुभ काम मानते हैं.

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9.अर्घ्य देने का है नियम

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घर या परिवार के अन्‍य लोग अगर सूर्य को अर्घ्य देना चाहते हैं तो उससे पहले कभी भी भोजन ग्रहण न करें. व्रती पहले और दूसरे दिन सूर्य को जल देने के बाद ही भोजन ग्रहण करते हैं. सुबह या शाम के अर्घ्य के समय तांबे के लोटे का प्रयोग करना चाहिए. सूर्य भगवान को तांबे के बर्तन से अर्घ्य देने पर विशेष कृपा मिलती है.

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  1. नए कपड़े पहना जरूरी

छठ पर्व के चारों दिन व्रती को नए कपड़े पहनने होते हैं. ऐसे में महिलाएं साड़ी और पुरुष धोती पहनते

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input – daily bihar

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