SHIVANAND TIWARY(FACEBOOK TIMELINE) : देश के चंद सुरक्षित व्यक्तियों में शामिल नीतीश कुमार कह रहे हैं कि लालू चाहें तो हमको गोली मरवा सकते हैं. नीतीश से बेहतर लालू को कौन जानता है ! याद कीजिए वह जमाना जब नीतीश कुमार लालू जी से अलग हुए थे. वह समय था जब लालू जी को मज़बूत जन समर्थन प्राप्त था. लोग सार्वजनिक रूप से लालू जी की आलोचना करने में परहेज़ करते थे.
वही समय था जब नीतीश कुमार लालू यादव से अलग हुए थे और संपूर्ण बिहार में उन्होंने उनके विरुद्ध अभियान चलाया था. लेकिन उस ज़माने में भी नीतीश कुमार के लालू विरोध के अभियान वाले उस क़ाफ़िले पर कहीं एक ढेला भी नहीं चला था. उस समय लालू यादव मज़बूती के साथ सत्ता पर जमे हुए थे और नीतीश कुमार एक सामान्य सांसद थे. आज नीतीश कुमार देश के चंद सबसे सुरक्षित व्यक्तियों में से एक हैं. किसी भी अन्य मुख्यमंत्री की सुरक्षा नीतीश कुमार के सुरक्षा इंतज़ाम का मुक़ाबला नहीं कर सकती है. दूसरी ओर लालू तो आज उस ज़माने वाले नीतीश की तरह सांसद भी नहीं है. ऐसे में लालू यादव के विरुद्ध नीतीश कुमार की गोली मरवाने वाली बात की क्या वजह हो सकती है !
मेरी समझ से नीतीश कुमार के मन में सचमुच डर समाया हुआ है. उपचुनाव में हार का डर. इन उपचुनावों में नीतीश की हार का मतलब होगा उनकी राजनीतिक अंत्येष्टि. पिछली विधानसभा में भी आने 2015 में हुए चुनाव में नीतीश कुमार की पार्टी के विधायकों की संख्या 71 थी और भाजपा के 53 विधायक थे. आज मामला उलट गया है. मौजूदा विधानसभा में भारतीय जनता पार्टी के विधायकों की संख्या 74 और नीतीश जी की पार्टी के मात्र 43 विधायक हैं. अभी दोनों क्षेत्रों में होनेवाले उपचुनाव में नीतीश जी की ही पार्टी के उम्मीदवार लड़ रहे हैं. नीतीश कुमार का राजनीतिक भविष्य इन उपचुनावों में दांव पर लगा हुआ है. इसलिए लालू यादव गोली मरवा दे सकता हैं जैसा ओछा बयान देकर वे अपने पक्ष में सहानुभूति बटोरना चाहते हैं.
input – daily bihar
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