PATNA : भारत में सबसे पहले राष्ट्रपति ट्रेन अर्थात वायसराय सैलून का परिचालन कोलकाता से बिहार के दरभंगा के बीच हुआ था। आज के लोगों को सुनने में यह आश्चर्य लेकिन सच यही है। दरभंगा राज परिवार की कुमुद सिंह बताती हैं कि आप नहीं जानते होंगे, सुनिये मैं बताती हूं. भारत में वायसराय सैलून जिसे अब राष्ट्रपति सैलून कहते हैं, पर 18 साल बाद किसी राष्ट्रपति ने सफर किया है.आप कहेंगे यह कौन नहीं जानता जो आप बता रही है. इस वायसराय सैलून की पहली यात्रा 1883 में कोलकाता से दरभंगा तक हुई थी. जानते थे, नहीं ना.
राष्ट्रपति के इस ट्रेन को प्रेसिडेंशियल सैलून भी कहा जाता है
स्वतंत्र भारत में पहली बार इस ट्रेन का सफर 1950 मे दिल्ली से कुरुक्षेत्र जाने के लिए भारत के पहले राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद ने किया था। राष्ट्रपति नीलम संजीव रेड्डी ने 1977 में इस ट्रेन का इस्तेमाल किया था। उसके बाद राष्ट्रपति कलाम ने 26 साल बाद इस ट्रेन से सफर किया। प्रेसिडेंशियल सैलून आधुनिक सुविधावों से लैस है। इस सैलून में बुलेट प्रूफ विंडो, जीपीआरएस, सैटेलाइट बेस्ट कम्युनिकेशन सिस्टम, इंटरनेट के लिए वाई-फाई की सुविधा, कॉन्फ्रेंस रूम आदि की भी सुविधाएं हैं।
18 साल बाद ऐसा मौका आया है जब प्रेसिडेंशियल ट्रेन का इस्तेमाल किया जाएगा। इससे पहले इस ट्रेन का इस्तेमाल 2006 में किया गया था। तब भारत के पूर्व राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम दिल्ली से देहरादून गए थे। अब्दुल कलाम इंडियन मिलिट्री एकेडमी में सेना के पासिंग आउट परेड में शामिल होने गए थे। प्रेसिडेंशियल ट्रेन का इस्तेमाल 87 बार किया जा चुका है।
इस बार प्रेसिडेंशियल ट्रेन में महाराजा एक्सप्रेस के कुछ डिब्बे भी होंगे। महाराजा एक्सप्रेस भारतीय रेल मंत्रालय की लग्जरी टूरिस्ट ट्रेन है। महाराजा एक्सप्रेस अक्टूबर से मार्च तक चलती है। इसलिए इस ट्रेन का इस्तेमाल किया जा रहा है। साथ ही इस ट्रेन में कुछ और भी डिब्बे जोड़े जाएंगे। ट्रेन को राजसी सफर नाम से भी जाना जाता है। जो किेसी पांच सितारा होटल से कम नहीं है।
input – daily bihar
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