BIHARBreaking NewsPoliticsSTATE

कन्हैया कुमार की नागरिकता खत्म की याचिका HC ने की खारिज, कोर्ट का वक्त बर्बाद करने पर 25 हजार रुपये का याची पर जुर्माना

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने जेएनयू छात्रसंघ अध्यक्ष रहे कन्हैया कुमार की नागरिकता समाप्त करने की मांग में दाखिल याचिका खारिज कर दी है। साथ ही फिजूल की याचिका दाखिल कर कोर्ट का समय खराब करने के लिए वाराणसी निवासी याची नागेश्वर मिश्र पर 25 हजार रुपये हर्जाना भी लगाया है। कोर्ट ने हर्जाने की रकम एक माह के भीतर महानिबंधक के समक्ष जमा करने का निर्देश दिया है।

Sponsored

यह आदेश न्यायमूर्ति शशिकांत गुप्ता एवं न्यायमूर्ति शमीम अहमद की खंडपीठ ने दिया है। कोर्ट ने संविधान के अनुच्छेद 5(सी) और भारतीय नाग‌रिकता कानून 1955 की धारा 10 के प्रावधानों का हवाला देते हुए कहा कि किसी भारतीय नागरिक को उसकी नागरिता से सिर्फ तभी वंचित किया जा सकता है, जब उसे नेच्युरलाइजेशन (विदेशी व्यक्ति को भारत का नागरिक बनाने की प्रक्रिया) या संविधान में प्रदत्त प्रक्रिया के तहत नागरिकता दी गई हो। कन्हैया कुमार भारत में ही पैदा हुए हैं। वह जन्मजात भारत के नागरिक हैं। इसलिए सिर्फ मुकदमे का ट्रायल चलने के आधार पर उनकी नागरिकता समाप्त नहीं की जा सकती।

Sponsored

कोर्ट ने कहा कि ऐसा प्रतीत होता है कि याची ने कानूनी प्रावधानों का अध्ययन किए बगैर महज सस्ती लोकप्रियता हासिल करने के लिए यह याचिका दाखिल की है। वह भी ऐसे समय में, जब कोरोना संक्रमण के कारण अदालतें सीमित तरीके से काम कर रही हैं और मुकदमों का बोझ बहुत है। ऐसे में इस प्रकार की फिजूल की याचिका दाखिल करना न्यायिक प्रक्रिया का दुरुपयोग और अदालत के कीमती वक्त की बर्बादी है।

Sponsored

कोर्ट ने इसके लिए याची पर 25 हजार रुपये का हर्जाना लगाया है। याची को यह रकम एक माह के भीतर महानिबंधक के समक्ष बैंक ड्राफ्ट से जमा करना है, जो एडवोकेट्स एसोसिएशन के खाते में भेजी जाएगी। हर्जाना जमा न करने पर कोर्ट ने वाराणसी के डीएम को इसे राजस्व की तरह वसूलने का निर्देश दिया है। याचिका में कहा गया था कि जेएनयू छात्रसंघ के अध्यक्ष रहे कन्हैया कुमार ने नौ फरवरी 2016 को जेएनयू परिसर में देशविरोधी नारे लगाए थे।

Sponsored

जिस पर उनके खिलाफ देशद्रोह की धाराओं में मुकदमा दर्ज हुआ। दिल्ली में मुकदमे का ट्रायल चल रहा है। यह भी कहा गया कि कन्हैया कुमार और उनके साथी उन आतंकवादियों को स्वतंत्रता सेनानी बताते हैं जो भारत की एकता व अखंडता पर प्रहार कर रहे हैं और उसे नष्ट करने का कुचक्र करते हैं। इसके बावजूद भारत सरकार कन्हैया कुमार की नागरिता समाप्त नहीं कर रही है।

Sponsored

Sponsored

INput: Hindustan

Sponsored

Comment here