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एक बिहारी जो तीन लाख रुपए इनवेस्ट कर बना किंग, एरिस्टो दवा कंपनी के मालिक थे जहानाबाद के महेंद्र

तीन लाख रुपये की पूंजी से खड़ी की थी दवा कंपनी , डॉ. महेन्द्र प्रसाद का सफरनामा : ● जन्म तिथि -8 जनवरी 1940● गांव-गोविंदपुर, प्रखंड मोदनगंज, जिला जहानाबाद● पिता -स्वर्गीय बलिराम शर्मा● माता-स्वर्गीय मुलुकरानी देवी● शिक्षा- अर्थशास्त्रत्त् में स्नातक प्रतिष्ठा (पटना कॉलेज पटना)● 1968 में मगध फार्मा की स्थापना● 1971 में एरिस्टो फार्मा की स्थापना● 1980 जहानाबाद से सातवीं लोकसभा के सदस्य● वर्ष 1984 के लोकसभा चुनाव में हार के बाद भी नहीं कम हुआ राजनीतिक वजूद● 1985 राज्य सभा के लिए निर्वाचित● 1986 राज्य सभा के लिए निर्वाचित● 1993 राज्य सभा के लिए मनोनीत● 2000 राजद से राज्य सभा के लिए निर्वाचित● 2006 जदयू से राज्य सभा के लिए निर्वाचित● 2012 जदयू से राज्यसभा के लिए निर्वाचित● 2018 जदयू से राज्यसभा के लिए निर्वाचित

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पटना विवि से अर्थशास्त्रत्त् में स्नातक करने के बाद महेन्द्र प्रसाद ने व्यवसाय जमाने के लिए काफी मेहनत की। घर की आर्थिक हालत सुधारने के लिए वे मुम्बई चले गए। वहीं उन्होंने पूंजी जमा की और दवा उत्पादन के क्षेत्र में अपने सपने को साकार करने में जुट गए। वर्ष 1971 में उन्होंने पड़ोस के गांव ओकरी के संप्रदा सिंह के साथ मिलकर एरिस्टो फार्मा की नींव डाली। कंपनी को स्थापित करने में तब दोनों ने मिलकर तीन लाख रुपये की पूंजी लगाई थी। आज एरिस्टो फार्मा तथा मैप्रा का एशिया और अफ्रीका के कई देशों में कारोबार है। एरिस्टो फार्मा देश की 20 बड़ी दवा कंपनियों में शुमार की जाती है। खास बात यह रही कि उन्होंने अपनी दवा कंपनियों में स्थानीय लोगों की भर्ती को प्राथमिकता दी।
उत्पादन, मार्केटिंग, पैकेजिंग और प्रबंधन में उपयुक्त स्थानीय व्यक्ति नहीं मिले तब ही उन्होंने दूसरे जिलों और राज्यों के प्रोफेशनल को चुना। एरिस्टो और मैप्रा में जहानाबाद जिले के प्रत्येक तीसरे गांव का कोई न कोई व्यक्ति कार्यरत है। किसी किसी गांव के तो दर्जन भर से अधिक लोग कंपनी के माध्यम से अपनी जीविका चला रहे हैं। स्थानीय लोगों को नौकरी में प्राथमिकता देने का नतीजा हुआ कि वे तेजी से लोकप्रिय होते चले गए।

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