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अभी-अभी ; दिल्ली समेत देश के इन हिस्सों में महसूस किए गए भूकंप के तगड़े झटके, दहशत में घरों से बाहर निकले लोग

दिल्ली-NCR में भूकंप के तेज झटके महसूस किए गए हैं. जम्मू-कश्मीर में भी धरती हिली है. वहां भी लोगों को भूकंप के तेज झटके महसूस हुए हैं. इस भूकंप की तीव्रता 5.9 पाई गई है.

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इसका केंद्र अफगानिस्तान का हिंदू कुश इलाका रहा है. अभी किसी भी तरह के जानमाल की हानि की खबर नहीं आई है, लेकिन लोगों में दहशत है. इससे पहले भी दिल्ली-एनसीआर में भूकंप के तेज झटके महसूस किए गए हैं.

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अब दिल्ली-एनसीआर भूकंप के लिहाज से संवेदनशील इलाके में आता है. वहां पर अगर ज्यादा तीव्रता का भूकंप आएगा तो बड़े स्तर पर तबाही मचेगी, नुकसान की कल्पना करना भी मुश्किल है. इसी वजह से अब जब फिर दिल्ली-एनसीआर में धरती इतनी तेज हिली है, लोग खौफजदा हो गए हैं, उन्हें बड़े खतरे का डर सताने लगा है.

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न्यू ईयर वाले दिन भी देश में अलग-अलग समय पर भूकंप के झटके महसूस किए गए थे. 1 जनवरी को देर रात 11:28 बजे मेघालय के नोंगपोह में रिक्टर स्केल पर 3.2 तीव्रता का भूकंप आया था. तब भूकंप का केंद्र नोंगपोह में जमीन से 10 किमी. भीतर था.

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इससे पहले उत्तराखंड के उत्तरकाशी से लेकर नेपाल तक 27-28 दिसंबर की रात ढाई घंटे के भीतर कई भूकंप के झटके महसूस किए गए थे. भूकंप का पहला झटका नेपाल के बागलुंग जिले में महसूस किया गया था. फिर खुंगा के आसपास भूकंप का दूसरा झटका महसूस किया गया था. रिक्टर स्केल पर इसकी तीव्रता 5.3 मापी गई थी.

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यहां ये समझना जरूरी है कि पूरे देश को भारतीय मानक ब्यूरो (BIS) ने पांच भूकंप जोन में बांटा है. देश का 59 फीसदी हिस्सा भूकंप रिस्क जोन में है. देश में पांचवें जोन को सबसे ज्यादा खतरनाक और सक्रिय माना जाता है. इस जोन में आने वाले राज्यों और इलाकों में तबाही की आशंका सबसे ज्यादा बनी रहती है. पांचवें जोन में देश के कुल भूखंड का 11 फीसदी हिस्सा आता है. चौथे जोन में 18 फीसदी और तीसरे और दूसरे जोन में 30 फीसदी. सबसे ज्यादा खतरा जोन 4 और 5 वाले इलाकों को है.

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सबसे खतरनाक जोन है पांचवां. इस जोन में जम्मू और कश्मीर का हिस्सा (कश्मीर घाटी), हिमाचल प्रदेश का पश्चिमी हिस्सा, उत्तराखंड का पूर्वी हिस्सा, गुजरात में कच्छ का रण, उत्तरी बिहार का हिस्सा, भारत के सभी पूर्वोत्तर राज्य, अंडमान और निकोबार द्वीप समूह शामिल हैं.

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चौथे जोन में जम्मू और कश्मीर के शेष हिस्से, लद्दाख, हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड के बाकी हिस्से, हरियाणा के कुछ हिस्से, पंजाब के कुछ हिस्से, दिल्ली, सिक्किम, उत्तर प्रदेश के उत्तरी हिस्से, बिहार और पश्चिम बंगाल का छोटा हिस्सा, गुजरात, पश्चिमी तट के पास महाराष्ट्र का कुछ हिस्सा और पश्चिमी राजस्थान का छोटा हिस्सा इस जोन में आता है.

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तीसरे जोन में आता है केरल, गोवा, लक्षद्वीप समूह, उत्तर प्रदेश और हरियाणा का कुछ हिस्सा, गुजरात और पंजाब के बचे हुए हिस्से, पश्चिम बंगाल का कुछ इलाका, पश्चिमी राजस्थान, मध्यप्रदेश, बिहार का कुछ इलाका, झारखंड का उत्तरी हिस्सा और छत्तीसगढ़. महाराष्ट्र, ओडिशा, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, तमिलनाडु और कर्नाटक का कुछ इलाका. पहले जोन में कोई खतरा नहीं होता. जोन-2 में आते है राजस्थान, हरियाणा, मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र, ओडिशा, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना और तमिलनाडु का बचा हुआ हिस्सा.

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जानकारी के लिए बता दें कि भूकंप चार प्रकार के होते हैं-

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भूकंप का पहला प्रकार इंड्यूस्ड अर्थक्वेक (Induced Earthquake) होता है. यानी ऐसे भूकंप जो इंसानी गतिविधियों की वजह से पैदा होते हैं. जैसे सुरंगों को खोदना, किसी जलस्रोत को भरना या फिर किसी तरह के बड़े भौगोलिक या जियोथर्मल प्रोजेक्ट्स को बनाना. बांधों के निर्माण की वजह से भी भूकंप आते हैं.

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दूसरा होता है वॉल्कैनिक अर्थक्वेक (Volcanic Earthquake) यानी वो भूकंप जो किसी ज्वालामुखी के फटने से पहले, फटते समय या फटने के बाद आते हैं. ये भूकंप गर्म लावा के निकलने और सतह के नीचे उनके बहने की वजह से आते हैं. तीसरा होता है कोलैप्स अर्थक्वेक (Collapse Earthquake) यानी छोटे भूकंप के झटके जो जमीन के अंदर मौजूद गुफाओं और सुरंगों के टूटने से बनते हैं. जमीन के अंदर होने वाले छोटे विस्फोटों की वजह से भी ये आते हैं.

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(हेडलाइन के अलावा, इस खबर को BIHAR WOW टीम ने संपादित नहीं किया है, यह AAJ TAK से सीधे प्रकाशित की गई है।)

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