पाकिस्तान नाम का खामियाज़ा इस गांव के लोगों को आज भी उठाना पड़ता है। आपको बताते हैं कि आखिर कैसे हिन्दुस्तान में यह ‘पाकिस्तान’ है।
मुस्लिम आबादी को ध्यान में रखकर 1947 में पाकिस्तान नाम से एक अलग देश बना। लेकिन, आपको यह जानकार हैरानी होगी कि बिहार के पूर्णिया ज़िले में भी एक ‘पाकिस्तान’ बसता है।
यह अलग बात है कि यहां बहुसंख्यक रूप से आदिवासी समुदाय के लोग रहते हैं। पाकिस्तान नाम का खामियाज़ा इस गांव के लोगों को आज भी उठाना पड़ता है। अव्वल तो ये लोग पाकिस्तानी कहलाते हैं, उस पर आसानी से यहां शादी नहीं हो पाती।
इन परेशान लोगों ने अपने गांव का नाम भी बदल लिया, बावजूद परेशानी कम नहीं हो रही है। आपको बताते हैं कि आखिर कैसे हिन्दुस्तान में यह ‘पाकिस्तान’ है।
पूर्णिया ज़िला मुख्यालय से लगभग 40 किलोमीटर दूर श्रीनगर प्रखंड के सिंघिया पंचायत के वार्ड-4 स्थित एक टोला है, जिसका नाम पाकिस्तान है। टोले में अब सिर्फ आदिवासी समुदाय के लोग ही रहते हैं।
पाकिस्तान नाम होने से झेलनी पड़ती है परेशानी
500 लोगों की आबादी वाले इस टोले के लोग बताते हैं कि 75 साल पहले बंटवारे के समय गांव का नाम पाकिस्तान रखा गया था। सिल्लुह हंसदा कहते हैं आज़ादी के समय यहां के मुस्लिम ग्रामीण भाई पलायन कर पाकिस्तान चले गए। उन्हीं की याद को समर्पित इस टोले का पाकिस्तान पड़ गया।
पाकिस्तान टोला निवासी विनोद बेसरा बताते हैं ‘हमारे टोला का नाम पाकिस्तान होने की वजह से गांव के बेटे-बेटियों की आसानी से शादी नहीं हो पाती, लोग रिश्ता जोड़ने से हिचकते हैं। हमें पाकिस्तानी कहकर पुकारते हैं। और भी कई तरह की परेशानियों से भी जूझना पड़ता है।’
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सरकारी सुविधाओं का नहीं मिल रहा लाभ
मीडिया से बातचीत के क्रम में पाकिस्तान टोला के दुग्गु हांसदा ने बताया ‘अभी तक हमारे टोले में मूलभूत सरकारी सुविधाएं नहीं है। आदिवासी लोग चाहते हुए भी अपने बच्चों को शिक्षा नहीं दिला पाते।
हम चलना चाहते हैं, लेकिन चलने के लिए सड़क नहीं है। ऐसा लगता है जैसे पाकिस्तान नाम होने के कारण ही टोले को विकास की मुख्यधारा से वंचित छोड़ दिया गया है।’
नाम बदलने से भी नहीं हुआ फायदा!
सिल्लहु हांसदा, दुग्गु हांसदा, विनोद बेसरा, रवींद्र आदि ने बताया कि कुछ साल पहले ग्रामीणों ने निर्णय लिया कि गांव का नाम बदल दिया जाए। ‘हम लोगों ने अपने गांव का नाम पाकिस्तान से बदल कर बिरसानगर रख लिया।
ग्रामीणों ने कहा कि हमने तो गांव का नाम बदल लिया, लेकिन सरकारी रिकॉर्ड में आज भी गांव का नाम पाकिस्तान ही है। गांव के लोगों के आधार कार्ड पर पाकिस्तान टोला ही पता दर्ज है।’