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सजाए मौ’त पर सुप्रीम कोर्ट का बड़ा बयान, कहा- मृ’त्युदंड नहीं,जेल में अंतिम सांस तक की सजा हो

मृत्युदंड नहीं,जेल में अंतिम सांस तक की सजा हो : कोर्टपिछले वर्ष नौ मृत्युदंड माफ : देश की सर्वोच्च अदालत ने कहा है कि अपराधी को मौत की सजा देने की बजाय उसे पूरी जैविक उम्र जेल में गुजारने की सजा दी जा सकती है। ऐसी सजा देने में कोई कानूनी समस्या नहीं है। जस्टिस एसके कौल और एमएम सुंदरेश की पीठ ने यह टिप्पणी यूपी (लखीमपुर) के रवींद्र के मामले में की। रविंद्र को एक बच्चे की नृशंस हत्या करने पर मौत की सजा सुनाई थी, जिसे बाद में पूरी जिंदगी जेल में गुजारने की सजा दी गई। इस सजा के क्रम में वह 30 साल से जेल में बंद है। उसने अब पैरोल पर बाहर आने के लिए अर्जी दी है। अर्जी में उसने कहा है कि पूरी उम्र जेल में गुजारने की सजा के कारण उसे सजा माफी की अर्जी देने का लाभ नहीं मिल पा रहा है।

मौत की सजा की जगह पूरी उम्र जेल में गुजारने जैसी सजा दी जा सकती हैं। स्वामी श्रद्धानंद के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने यही सजा दी थी कि उसे सीआरपीसी की धारा 433, 433 ए के तहत दंड विराम का लाभ नहीं भी नहीं दिया जाएगा। रवींद्र ने 1990 में पारिवारिक रंजिश में एक 10 वर्षीय बच्चे को जिंदा आग में झोंक दिया था। इस अपराध में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने उसे मृत्युदंड की सजा दी थी। इस सजा को सुप्रीम कोर्ट ने 1997 में बरकरार रखा था। लेकिन, 2010 में राष्ट्रपति ने सजा को माफ कर उसे जीवन भर जेल में गुजारने दंड दिया। रवींद्र 30 वर्षों से जेल में बंद है।

मौत की सजा संवैधानिक

कोर्ट की संविधान पीठ ने 1980 में बचन सिंह बनाम राज्य, केस में मौत की सजा की संवैधानिक ठहराया था और कहा था कि यह सजा दुर्लभ से दुर्लभतम अपराध में दी जानी चाहिए। सजा देने के बाद जज को इस सजा के देने के आधार विस्तृत रूप से बताने होंगे।

उम्रकैद का मतलब पूरी उम्र जेल में गुजारना

कोर्ट ने कहा कि पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की हत्या के मामले में दोषी श्रीहरन पर संविधान पीठ ने कहा था कि उम्रकैद का मतलब पूरी उम्र जेल में गुजारना है, 16 वर्ष नहीं। यह जरूर है कि उसे दंड विराम का लाभ लेने के कानूनी रास्ते खुले रहेंगे। लेकिन, वहीं स्वामी श्रद्धानंद के मामले में कोर्ट ने विशेष श्रेणी बनाई थी और कहा था कि उन्हें पूरी उम्र जेल में गुजारनी होगी।

पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की हत्या मामले में दोषी श्रीहरन पर संविधान पीठ ने कहा था कि उम्रकैद का मतलब 16 वर्ष नहीं, बल्कि पूरी उम्र जेल में गुजारना है। हालांकि, दंड विराम के रास्ते खुले रहेंगे। वहीं,स्वामी श्रद्धानंद मामले में कहा था कि उन्हें पूरी उम्र जेल में बितानी होगी। -सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट ने 2021 में एक भी मृत्युदंड की पुष्टि नहीं की है। इस दौरान कोर्ट ने पांच मामलों में अपराधियों की सजा को उम्रकैद में तब्दील कर दिया और 4 मामले में मृत्युदंड की सजा माफ कर उन्हें अपराधों से बरी ही कर दिया। यह सिलसिला इस वर्ष भी जारी है। कोर्ट ने बच्ची की रेप के बाद हत्या करने वाले को मौत की सजा माफ कर उसे 30 वर्ष की अवधि के लिए जेल भेज दिया। यह मामला यूपी का था। कोर्ट ने कहा था कि सिर्फ इसलिए कि अपराध घृणित है, इस बिनाह पर किसी अपराधी को इस मौत की सजा नहीं दी जा सकती।

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