पटना के गाय घाट के उत्तर रक्षा गृह की अधीक्षक वंदना गुप्ता (Superintendent Vandana Gupta) पर लगाए गंभीर आरोप पर एफआईआऱ दर्ज नहीं होने के बाद कोर्ट ने स्वतः संज्ञान लिया है. हाईकोर्ट ने इस याचिका को जुवेनाइल जस्टिस मॉनिटरिंग कमेटी की अनुशंसा पर रजिस्टर्ड किया है. पटना हाईकोर्ट ने गायघाट रिमांड होम मामले पर सख्त रूख अपनाते हुए मामले में FIR दर्ज नहीं होने पर पटना पुलिस को कड़ी फटकार लगाई है. साथ ही कोर्ट ने महज CCTV फुटेज के आधार पर पीड़िता के आरोप को खारिज करने पर समाज कल्याण विभाग से भी जवाब तलब किया है
दरअसल जुवेनाइल जस्टिस मॉनिटरिंग कमेटी जिसके जस्टिस आशुतोष कुमार चेयरमैन हैं, जबकि जस्टिस अंजनी कुमार शरण और जस्टिस नवनीत कुमार पांडेय इसके सदस्य हैं ने मामले में 31 जनवरी को अखबार में प्रकाशित रिपोर्ट को गंभीरता से लिया है और कमेटी ने इसपर बैठक करके चर्चा किया था. कमेटी ने उन आरोपों पर चर्चा की जिसमें एक युवती ने रिमांड होम की अधीक्षिका वंदना गुप्ता पर गंभीर आरोप लगाए थे. जिसके बाद रिमांड होम की व्यवस्था पर सवाल खड़ा हो गया है.
रिमांड होम की अधीक्षक पर गंभीर आरोप
पीड़िता ने आरोप लगाए हैं कि अधीक्षक वंदना गुप्ता नशे का इंजेक्शन देकर यहां रहने वाली पीडिताओं को अनैतिक कार्य करने के लिए मजबूर करती हैं. केअर होम में रहने वाली पीड़िताओं को भोजन और बिस्तर की सुविधाएं भी नहीं मुहैया कराई जाती. इसके साथ ही पीड़िता ने आरोप लगाया कि अजनबियों को रिश्तेदार बनाकर एंट्री दी जाती थी. जो आकर बेसहारा महिला को उठा कर ले जाते थे. पीड़िता के गंभीर आरोप के बाद भी पुलिस ने FIR दर्ज नहीं की है.
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सात फरवरी को अगली सुनवाई
जबकि मामले में समाज कल्याण विभाग ने आनन-फानन में टीम गठित कर रिमांड होम को क्लीन चिट दे दी थी. इसके बाद अब कोर्ट ने समाज कल्याण विभाग के एडिशनल चीफ सेक्रेटरी को प्रतिवादी बनाते हुए फौरन अपने स्तर से जांच करने का आदेश दिया है.चीफ जस्टिस संजय करोल और जस्टिस एस कुमार की खंडपीठ ने आदेश को पारित किया. साथ ही साथ कोर्ट ने की गई कार्रवाई के संबंध में रिपोर्ट देने को कहा है. मामले में अगली सुनवाई सोमवार 7 फरवरी को होगी.