भामाशाह पन्ना जिले निवासी सहायक शिक्षक श्री विजय कुमार चंसोरिया ने मानवता की मिसाल पेश करते हुए सेवानिवृत्त के बाद असहाय व निर्धन बच्चों को शिक्षा मिल सके इस हेतु अपनी भविष्य निधि ₹40लाख दान देने का ऐतिहासिक निर्णय लिया इस हेतु विजय जी का अभिनन्दन। आपके समर्पण को प्रणाम।
भामाशाह
पन्ना जिले निवासी सहायक शिक्षक श्री विजय कुमार चंसोरिया ने मानवता की मिसाल पेश करते हुए सेवानिवृत्त के बाद असहाय व निर्धन बच्चों को शिक्षा मिल सके इस हेतु अपनी भविष्य निधि ₹40लाख दान देने का ऐतिहासिक निर्णय लिया इस हेतु विजय जी का अभिनन्दन।
आपके समर्पण को प्रणाम। pic.twitter.com/2vkLGBVpDx— हितानंद Hitanand (@HitanandSharma) February 2, 2022
दुनिया में दुखों को कोई कम नहीं कर सकता है, लेकिन हम जो कुछ अच्छा कर सकते हैं, वह हमें करना चाहिए। ये कहना है कि मध्य प्रदेश के पन्ना के रहने वाले विजय कुमार चंसोरिया का। जिन्होंने मानवता की मिसाल पेश की है। विजय कुमार एक रिटायर स्कूल टीचर हैं। जिन्होंने रिटायरमेंट के बाद कुछ ऐसा कि लोग आज इनकी मिसाल दे रहे हैं। उन्होंने अपनी पत्नी और बच्चों की सहमति से अपने सभी भविष्य निधि और ग्रेच्युटी की राशि गरीब छात्रों के लिए स्कूल को दान कर दिया।
पन्ना के सहायक शिक्षक विजय कुमार चंसोरिया जी ने अपने रिटायरमेंट के बाद PF की 40 लाख रु गरीब बच्चों के लिए दान कर दी.
उन्होंने खुद दूध बेचकर और रिक्शा चलाकर अपनी पढ़ाई पूरी की थी और शिक्षक बने थे.
सम्बंधित ख़बरें
Muzaffarpur: अखाड़ाघाट में समानांतर पुल के निर्माण में तेजी, एप्रोच पथ निर्माण के लिए अतिक्रमण हटा पेड़ों की कटाई शुरूबिहार चुनाव परिणाम के बीच Jan Suraj के प्रत्याशी की Heart Attack से मौत, इस सीट से थे उम्मीदवार ?Fake Voting Attempt: भाई की जगह वोट डालने पहुंचा व्यक्ति गिरफ्तार, ढाका में फर्जी मतदान का प्रयासMuzaffarpur की स्टंटबाज हसीना का Video हुआ Viral, अब Police पड़ी पीछे तो …Muzaffarpur में Flipkart Delivery Boys का प्रदर्शन जारी, वापस हो रहे सैकड़ों ऑर्डर्सशिक्षकों का ऋण चुकाना असंभव है. धन्य है भारतभूमि जहाँ ऐसे शिक्षक जन्म लेते हैं. pic.twitter.com/2ySmfkUlqf
— Dipanshu Kabra (@ipskabra) February 3, 2022
विजय कुमार ने अपने बचपन के दिनों में काफी संघर्ष किया ताकि वह पढ़ लिखकर कुछ बन सके। जिसके लिए उन्होंने रिक्शा तक चलाया और अपनी पढ़ाई पूरी करने के लिए दूध बेचा। अपनी मेहनत औऱ परिश्रम से वह साल 1983 में शिक्षक बन गए। इन दिनों उन्होंने उन बच्चों को देखा तो अभाव में रहते हैं।

आर्थिक स्थिति ठीक न होने के कारण उनकी पढ़ाई तक छूट जाती है। उन्होंने जब भी बच्चों की मदद की, उनकी खुशी देखी। बस फिर क्या थआ उन्होंने रिटायरमेंट के बाद बच्चों के लिए अपने भविष्य निधि के 40 लाख रुपए दान देने का फैसला किया, जो आज मिसाल बन चुका है।









