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बिहार सरकार नहीं खर्च कर पाई जमा धन, 15 हजार करोड़ बढ़ा राजकोषीय घाटा, राजस्‍व घाटे में 16 साल पुराने हालात

कोरोना वायरस संक्रमण की वजह से राज्य सरकार खजाना में जमा राशि भी खर्च नहीं कर पाई। नियंत्रक महालेखा परीक्षक की रिपोर्ट में यह दर्ज है। वित्तीय वर्ष 2020-21 से संबंधित यह रिपोर्ट गुरुवार को विधानसभा में रखी गई। उप मुख्यमंत्री रेणु देवी ने इसे पेश किया। रिपोर्ट के मुताबिक उस वित्तीय वर्ष में 29 हजार 827 करोड़ रुपये का राजकोषीय घाटा दर्ज किया गया। यह पिछले वित्तीय वर्ष की तुलना में 15,103 करोड़ रुपया बढ़ गया। राज्य को 2004-05 के बाद दूसरी बार 11,325 करोड़ रुपये के राजस्व घाटे का सामना करना पड़ा। हालांकि सकल घरेलू उत्पाद के प्रतिशत के रूप में राजकोषीय घाटा संशोधित लक्ष्यों के भीतर था, लेकिन यह बजट अनुमानों के अनुसार नहीं था।

कर संग्रह के मुकाबले व्‍यय में वृद्धि अधिक

रिपोर्ट में कहा गया है कि पिछले वित्तीय वर्ष (2019-20)की तुलना में 2020-21 के दौरान राज्य के अपने कर संग्रह में 3.17 प्रतिशत की वृद्धि हुई। प्रतिबद्ध व्यय में अधिक खर्च के कारण राजस्व व्यय में 10.69 प्रतिशत की वृद्धि हुई। राज्य सरकार ने पिछले वर्ष की तुलना में परिसम्पत्तियों के निर्माण पर 47.99 प्रतिशत ख़र्च बढ़ा दिया। वर्ष के अंत तक बकाया लोक ऋण में पिछले वर्ष की तुलना में 29 हजार करोड़ रुपये से अधिक की वृद्धि हुई।

राज्‍य सरकार पर देनदारी बढ़ी

रिपोर्ट में राज्य की बढ़ती देनदारियों की भी चर्चा की गई है। इसके मुताबिक 2020-21 के दौरान जो उधार लिए गए, उसका करीब 54 प्रतिशत हिस्सा पुनर्भुगतान पर खर्च किया गया। इससे राज्य में परिसंपत्तियों का निर्माण प्रभावित हुआ।

निर्धारित राशि खर्च नहीं

सरकार ने 2020-21 में कुल दो लाख 45 हजार 522 करोड़ रुपये के व्यय का प्रविधान किया था। लेकिन एक लाख 67 हजार 915 करोड़ रुपया ही खर्च हो पाया। यह सिर्फ 68.39 प्रतिशत है। रिपोर्ट में कहा गया है कि कम खर्च के बाद भी 33,768 करोड़ रुपये का अनुपूरक प्रविधान किया गया। यह पूरी तरह अनावश्यक था। क्योंकि वास्तविक खर्च मूल बजटीय प्रविधान के स्तर तक भी नहीं पहुंच पाया।

सरेंडर नहीं हुआ रुपया

रिपोर्ट में कहा गया कि बजट में दर्ज राशि के खर्च न होने के बाद भी बचत की पूरी राशि सरेंडर नहीं हुई। बचत की कुल राशि 77 हजार 607 करोड़ रुपये थी। इसमें से सिर्फ 13 हजार 67 करोड़ रुपया सरेंडर किया गया। यह बचत राशि का 16.84 प्रतिशत है। यानी बचत के 64 हजार 539 करोड़ रुपये सरेंडर नहीं किए गए।

जेंडर बजट की राशि पड़ी रह गई

जेंडर बजट में ए श्रेणी की 29 योजनाओं के लिए 2932 करोड़ रुपये उपलब्ध थे। यह राशि ख़र्च नहीं हो सकी। बाल कल्याण बजट में 2958 करोड़ रुपये का प्रविधान किया गया था। बाल कल्याण की 48 योजनाओं पर राज्य सरकार एक भी रुपया खर्च करने में विफ ल रही। रिपोर्ट के मुताबिक हरित बजट बनाने वाला देश का पहला राज्य बिहार है। लेकिन, इसके लिए आवंटित पूरी राशि भी नहीं खर्च हो पाई।

उपयोगिता प्रमाण पत्र

रिपोर्ट में बताया गया है कि 31 मार्च 21 तक 92 हजार करोड़ रुपये से अधिक खर्च का उपयोगिता प्रमाण पत्र नहीं दिया गया। अधिक मात्रा में उपयोगिता प्रमाण पत्र का लंबित रहना निधि के दुरुपयोग एवं धोखाधड़ी के जोखिम को बढ़ाता है। रिपोर्ट में इस बात पर आपत्ति व्यक्त की गई है कि 3811 करोड़ रुपये व्यक्तिगत जमा खाता में क्यों रखे गए?

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