मछली उत्पादन में बिहार देश में चौथे स्थान पर है। ऊर्जा, योजना एवं विकास विभाग के मंत्री एवं योजना पर्षद के उपाध्यक्ष बिजेंद्र यादव ने इस अंतर को इसी साल खत्म करने का लक्ष्य दिया है।
कृषि रोड मैप के कारण बिहार में मछली- दूध, अंडा और मांस का उत्पादन ही नहीं, उत्पादकता में भी बढ़ोतरी हो रही है। कुछ महीनों के प्रयास के बाद बिहार मछली में पूरी तरह से आत्मनिर्भर होगा। अभी 67500 टन मछली आयात हो रही है।
37,000 टन मछली निर्यात हो रही है। मात्र 30,500 टन का अंतर है। मछली उत्पादन में बिहार देश में चौथे स्थान पर है। ऊर्जा, योजना एवं विकास विभाग के मंत्री एवं योजना पर्षद के उपाध्यक्ष बिजेंद्र यादव ने इस अंतर को इसी साल खत्म करने का लक्ष्य दिया है।
बिहार में तीन गुना बढ़ा दूध उत्पादन
दूध उत्पादन में भी तीन गुनी वृद्धि हुई है। वे शुक्रवार को राज्य योजना पर्षद की बैठक में कृषि रोड मैप से आये बदलाव और आगे के कार्यक्रम की समीक्षा कर रहे थे।
योजनाओं का प्रस्तुतीकरण करते हुए पशु एवं मत्स्य संसाधन विभाग के सचिव डॉ एन सरवण कुमार ने बताया कि पहला कृषि रोड मैप 2007-08 को प्रभावी हुआ है। अभी तीसरा रोड मैच चल रहा है।
2007 से पहले 2.88 लाख मछली पैदा हो रही थी। अब 7.62 लाख टन पैदा हो रही है। लक्ष्य 8.02 लाख टन का है। बैठक में खाद्य सचिव विनय कुमार, काम्फेड सुधा शिखा श्रीवास्तव, निदेशक डेयरी आदि उपस्थित थे।
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नयी दुग्ध समितियों का होगा गठन
पहले कृषि रोड मैप से पहले राज्य का दुग्ध उत्पादन 57.07 लाख टन था, यह वित्तीय वर्ष 2020-21 में 115.02 लाख टन हो गया है। बाढ़ आदि के कारण 159 लाख टन का लक्ष्य पूरा नहीं हो पाया है।
अंडे का वार्षिक उत्पादन 10612 लाख से बढ़कर 30132 लाख पर पहुंच गया है। मांस उत्पादन 1.80 लाख टन से बढ़कर 3.86 लाख टन हो गया।
गव्य प्रक्षेत्र को सात निश्चय-2 में सम्मिलित किया गया है। इसके तहत गांवों तक दुग्धसमितियों का गठन किया जा रहा है। वित्तीय वर्ष 2024-25 तक 7000 नयी दुग्ध समितियां बनायी जायेंगी। हर साल एक हजार समिति बनेगी। मई, 2022 तक 1639 नयी समितियां बन चुकी हैं।