गंगा नदी पर बने रेल रोड ब्रिज यानी श्रीकृष्ण सेतु पर आवागमन शुरू हो गया। इसके साथ ही भागलपुर-पटना मेन रोड में नेशनल हाईवे-80 पर बनाए गए घोरघट पुल पर भी आना-जाना शुरू हो गया। सीएम नीतीश कुमार इसके लिए घोरघट पुल पहुंचे, वहीं, केंद्रीय सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से जुड़े और मणि नदी पर बना आर.सी.सी. पुल एवं पहुंच पथ जनता की आवाजाही के लिए खोल दिया गया।
इसके बाद सीएम नीतीश कुमार की अध्यक्षता में केन्द्रीय सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने मुंगेर में 14.5 किलोमीटर लंबे एनएच 333बी के अन्तर्गत गंगा नदी पर रेल-सह-सड़क पुल की पहुंच पथ परियोजना का लोकार्पण किया।
लोकार्पण के बाद उमड़े लोग
मुंगेर में गंगा नदी पर बने रेल सह सड़क पुल के एप्रोच रोड के लोकार्पण के बाद ही खगड़िया, बेगूसराय और मुंगेर के लोग पहली बार पूल पर चढ़ने का आनंद उठाने को उतावले हो उठे। हजारों की संख्या में लोग और मोटर गाड़ियां अचानक ही पुल पर चलने लगे और अचानक जाम की स्थिति हो गई।
दरअसल, स्थानीय लोग पहली बार पुल पर चढ़ कर मजा लेना चाह रहे थे। इन्हें इस बात का सुखद अनुभव हो रहा था कि कल तक जहां नाव से आते-जाते थे वहां गाड़ियों से फर्राटा भरते हुए महज 5 से 10 मिनट में ही इस पार से उर पार चले जा रहे थे।
अटल बिहारी वाजपेयी ने किया था शिलान्यास
बता दें कि मुंगेर पहुंचने के बाद मुख्यमंत्री नीतीश कुमार रोड के रास्ते बरियारपुर, नौवागढ़ी होते हुए चंडिका स्थान गए। यहीं से नीतीश कुमार ने श्रीकृष्ण सेतु का उद्घाटन किया।
गौरतलब है कि मुंगेर रेल रोड ब्रिज का प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने अपने जन्मदिन के दिन यानी 26 दिसंबर 2002 को इसका शिलान्यास किया था। उस दौरान मुख्यमंत्री नीतीश कुमार केंद्र में रेल मंत्री थे और इस कार्यक्रम में भी मौजूद थे।
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खर्च हुए 696 करोड़ रुपये
इसके बाद मुंगेर रेल-सड़क पुल के रेल पुल वाले हिस्से का उद्घाटन 2016 में तत्कालीन रेल राज्य मंत्री मनोज सिन्हा ने किया था। इसके बाद से इस पुल पर रेल का चलना शुरू हो गया था, लेकिन सड़क पुल के लिए अप्रोच रोड को लेकर अड़चन आ रही थी।
आखिर में इसे भी दूर कर लिया गया। इस रोड ब्रिज के करीब 14.5 किलोमीटर अप्रोच रोड के निर्माण में 696 करोड़ रुपये खर्च हुए।
सीएम ने जताई खुशी
वहीं, मणि नदी पर बने पुल के उद्घाटन के बाद सीएम ने खुशी जताते हुए कहा कि अब भागलपुर बिहार के अन्य जिलों से नजदीक से जुड़ गया है। यहां के लोगों की बरसों पुरानी मुरादें पूरी हो गईं।
16 साल बाद इस पुल का उद्घाटन हो सका। घोरघट ऐतिहासिक दृष्टिकोण से भी महत्वपूर्ण है क्योंकि महात्मा गांधी के हाथ में हमेशा दिखने वाली लाठी इसी गांव के लोगों ने उन्हें भेंट की थी।