भवन निर्माण सामग्रियों की कीमतें फिर बढ़ गईं हैं। सीमेंट, स्टोन चिप और लोहे के साथ ही ईंट की भी कीमत बढ़ गई है। इससे मकानों की लागत में 10 प्रतिशत तक की वृद्धि का अनुमान है। जाहिर है मकान का सपना जेब पर और भारी पड़ेगा। विक्रेताओं का कहना है कि हाल के दिनों में भवन निर्माण सामग्री की कीमतों में वृद्धि हुई है। बालू को छोड़ दें तो सभी सामग्रियों के दाम बढ़ गए हैं। क्रेडाई के बिहार अध्यक्ष मणिकांत ने कहा कि जिस हिसाब से भवन निर्माण सामग्रियों की कीमतें बढ़ी हैं, उससे मकानों की लागत 10 प्रतिशत तक बढ़ जाएगी। 50 लाख रुपये के फ़्लैट अब 55 लाख रुपये में मिलेंगे। एक करोड़ रुपये के फ्लैट अब 1.10 करोड़ रुपये में मिलेंगे।

मकान बनाने वालों की परेशानी बढ़ी
बिल्डर एसोसिएशन आफ इंडिया के पूर्व बिहार अध्यक्ष एनके ठाकुर ने कहा कि बालू में थोड़ी राहत है, लेकिन अन्य सभी निर्माण सामग्री की कीमतें बढ़ गई हैं। कंकड़बाग के भवन निर्माण सामग्री विक्रेता सकलदेव यादव ने कहा कि महंगाई की वजह से मकान बनाने वालों की परेशानी बढ़ गई है।

इससे बिक्री पर प्रतिकूल असर पड़ेगा। ठेकेदार गणेश कुमार ने कहा कि बालू की किल्लत के बाद हाल के दिनों में भवन निर्माण कार्य शुरू हुआ था और अब कीमतों में वृद्धि से काम पर असर पड़ रहा है। महंगई से काम मिलने में बाधा आती है।
अचानक बढ़ी सरिया की कीमत

दादी जी स्टील्स प्राइवेट लिमिटेड के एमडी रमेश चंद्र गुप्त ने बताया कि कोयले और लौह अयस्क के दामों में वृद्धि के चलते एक माह में सरिया की कीमत आठ सौ रुपए प्रति क्विंटल बढ़ी है।
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निर्माण सामग्री, पूर्व की खुदरा कीमत , अब
- सीमेंट – 360, 380 रु प्रति बैग
- सरिया – 62 रु, 70 रुपये प्रति किलो
- स्टोन चिप्स – 8000, 8500 रु प्रति 100 सीएफटी
- ईंट – 14,500, 15,000 रु प्रति 1500 ईंट
- बालू – 7000, 7000 रुपये प्रति 130 सीएफटी
क्या कहते हैं भवन निर्माता
मकान बनाने को लेकर जब तैयारी की गई तो बालू नहीं मिल रहा था। लेकिन, जैसे ही बालू मिलना शुरू हुआ सीमेंट व सरिया का दाम बढ़ गया, जिससे परेशानी हो रही है। भवन का निर्माण करा रहे विनोद कुमार सिंह, मारकंडेय सिंह, प्रदुम्न तिवारी, विरेंद्र कुमार आदि ने बताया कि पिछले छह माह से मकान बनाने के बारे में सोंचा जा रहा था। लेकिन, बालू की कमी की वजह से निर्माण नहीं करा रहे थे। अब जब बालू मिलना शुरू हुआ है तो सीमेंट व सरिया के दाम बढ़ गए हैं। लेकिन, अब तो मजबूरी है। किसी तरह निर्माण कराना है।