राजधानी पटना के नीचे प्राचीन पाटलिपुत्र के अवशेष होने की संभावना जताई गई है। इसके लिए अब पटना में आईआईटी कानपुर के विशेषज्ञों की टीम सर्वे कर रही है। जिसके बाद चिह्नित स्थानों की खुदाई की जाएगी।
बिहार की राजधानी पटना का इतिहास बहुत ही गौरवशाली रहा है। प्राचीन काल में पटना मगध साम्राज्य का राजधानी हुआ करता था और इसे पाटलीपुत्र के नाम से जाना जाता था।
इतिहास में पाटलीपुत्र की बहुत ही यहां भूमिका रही है। अब इसी इतिहास से संबंधित जानकारी जुटाने के लिए पटना में खुदाई का काम शुरू किया जाने वाला है।
कई स्थानों को चिह्नित कर खुदाई की जाएगी
पटना के नीचे गौरवशाली पाटलिपुत्र के अवशेष दबे होने की संभावना जताई जा रही है। ऐसे में अब यहां के इतिहास को जानने के लिए शहर के कई स्थानों को चिह्नित कर वहां पर खुदाई की जाएगी। बिहार सरकार ने इसके लिए कानपुर आईआईटी के विशेषज्ञों की टीम को चिह्नित स्थलों के सर्वे का काम सौंप दिया है।
खुदाई के पहले सर्वे
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की पहल के बाद बिहार के गौरवशाली इतिहास को जानने के लिए तैयारी शुरू की जा चुकी है। पटना के लगभग आधा दर्जन से अधिक स्थानों पर खुदाई की जाएगी।
पाटलिपुत्र की खोज के लिए जिस जगह खुदाई करनी है उन स्थानों को चिह्नित कर लिया गया है। खुदाई के पहले ग्राउंड पेनिट्रेटिंग रडार सर्वे कराया जाएगा और अगर सर्वे का परिणाम सकारात्मक आया उन जगहों पर पटलीपुत्र के अवशेषों को ढूंढा जाएगा।
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पटना संग्रहालय परिसर में खुदाई
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने पिछले महीने मई में ही पटना संग्रहालय परिसर में खुदाई कार्य शुरू करने का निर्देश दे दिया था। अगले हफ्ते वहां पर तेजी से खुदाई का काम शुरू किया जाएगा। वहां खुदाई के काम के लिए घेराबंदी की जा चुकी है।
पटना सिटी के आधा दर्जन जगहों पर खुदाई
इसके अलावा पटना सिटी के आधा दर्जन जगहों पर खुदाई की जाने की संभावना है। यहां पटना सिटी के भद्र घाट, महावीर घाट, गुलजारबाग राजकीय मुद्रणालय का खेल मैदान, बेगम की हवेली, सैफ खान का मदरसा, मेहंदी मजार क्षेत्र का सर्वे का काम तकरीबन पूरा हो चूका है।
18 लाख रुपये की स्वीकृति
सर्वे के काम पर खर्च करने के लिए लगभग 18 लाख रुपये की स्वीकृति दी जा चुकी है। इस सर्वे के द्वारा जमीन के 15 मीटर नीचे तक की जानकारियाँ बिना खुदाई किया आसानी से जुटाई जा सकती है। इस कारण से खुदाई के पहले सर्वे कराया जाएगा।