अगर कुछ कर गुजरने का जज्बा हो तो कुछ भी असंभव नहीं होता है… इन्हीं शब्दों को जीवंत किया है किशनगंज के निहाल अख्तर ने। बिहार के इस बेटे ने ताइवान में अपनी प्रतिभा का परचम लहराया है। कोचाधामन प्रखंड के सोन्था गांव के रहने वाले निहाल को ताइवान के ताइपाई यूनिवर्सिटी से गोल्ड मेडल मिला है।
बता दें कि शिक्षा के नजर से किशनगंज क्षेत्र को सीमांचल का सबसे पिछड़ा इलाका माना जाता है। यहां साक्षरता दर सबसे कम है। ऐसे में निहाल ने जो कारनामा कर दिखाया है वो वाकई काबिल-ए-तारीफ है।
बिहार के लाल को मिली बड़ी जिम्मेदारी
वहीं गोल्ड मेडलिस्ट निहाल अख्तर को ताइवान सरकार ने बड़ी जिम्मेदारी दी है। अब किशनगंज का यह लाल ड्रोन एंबुलेंस बनाने का काम करेगा। मालूम हो कि दिल के मरीजों के उपचार के लिए यह ड्रोन काफी मददगार और उपयोगी माना जाता है।

आज जहां पूरी दुनिया में दिल के मरीजों की संख्या बढ़ती जा रही है। ऐसे में उन्हें तुरंत उचित इलाज की जरूरत रहती है। इस स्थिति में ड्रोन एम्बुलेंस के जरिए उन्हें मदद मिलने की संभावना जताई जा रही है।
गोल्ड मेडलिस्ट निहाल ने सरकार से की मांग
निहाल अभी अपने घर आए हुए हैं। वह गांव के भी बच्चो को पढ़ने की कोशिश कर रहे हैं। साथ ही शिक्षा के क्षेत्र में लोगों को जागरूक करने का प्रयास कर रहे हैं। निहाल का कहना है कि हमारे यहां प्रतिभा की कमी नहीं है। उन्होंने सरकार से मांग की है कि यहां शिक्षा और रिसर्च के क्षेत्र में सुविधा मुहैया कराए, जिससे बच्चों की प्रतिभा का विकास किया जा सकें।
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निहाल ने बताया कि उनकी शुरुआती शिक्षा तोहिद चेरेटी ट्रस्ट से हुई। फिर आगे जामिया से इंजीनियरिंग की। वहीं से पास होने के बाद ताइवान की ताइपाई यूनिवर्सिटी से मौका मिला और परीक्षा में गोल्ड मेडल से सम्मानित कर एयर ड्रोन एंबुलेंस के रिसर्च का काम दिया गया।
निहाल ने आगे और युवाओं से भी मेहनत करने की अपील की। साथ ही सरकार से भी अपील है की रिसर्च के क्षेत्र में सुविधा मुहैया कराई जाए, जिससे और लोग भी आगे बढ़े, देश का नाम हो।