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बिहार के मंदार में बहार, इस हिल स्टेशन पर हर दिन लगता है पर्यटकों का मेला, जानिए खासियत

बिहार के मंदार में बहार है। 12 महीने अब यह हिल स्टेशन पर्यटकों से गुलजार रहता है। यहां कई रोचक और अद्भुत स्थान ऐसे हैं जहां घूमते हुए पर्यटक दूसरी दुनिया में है। ऐसा महसूस करता है। प्रकृति की गोद में बसे मंदार के बारे में विस्तार से पढ़ें…

मंदार का बौंसी मेला अंग प्रदेश की पुरानी पहचान है। भागलपुर-बांका ही नहीं, बल्कि झारखंड और बंगाल तक के कई जिलों से लोगों को हर साल मकर संक्रांति में लगने वाले इस मेले का इंतजार रहता है।

तब आस्था के साथ घरेलू और किसानी की जरूरत को लेकर दूर-दराज के लोगों की भीड़ जुटती थी। मकर संक्रांति से लेकर महीने भर तक मंदार का इलाका गुलजार होता था। बदले समय के साथ मंदार मेला भी बदला है।

With the commissioning of the ropeway, it has become a major tourist destination in South Bihar.

खासकर पिछले साल मंदार पर रोपवे चालू हो जाने से यह दक्षिण बिहार का बड़ा पर्यटक स्थल बन गया है। अब मेला के लिए मंदार को साल भर का इंतजार नहीं करना होता है। पूरे साल पर्यटकों के आगमन से मंदार गुलजार रहता है।

अभी तेज गर्मी पड़ने के बाद भी पर्यटकों का उत्साह कम नहीं पड़ा है। गर्मी की छुट्टी में घर बैठे बच्चों को लेकर अभिभावक सुबह-शाम मंदार पहुंच रहे हैं।

हर दिन लोगों का लगा रहता है मेला

दोपहर के वक्त घूमना थोड़ा कष्टदायक जरूर होता है, लेकिन लोग कम नहीं हो रहे हैं। रोपवे लगने के बाद अब हर दिन लोगों का मेला लगा रहता है और दुकानदारों का भी।

Attractive rock on the temple

रोपवे लगने के बाद नव वर्ष, मकर संक्रांति और किसी पर्व-त्योहार या छुट्टी के दिन भीड़ संभाले नहीं संभल रही है। पर्यटकों के लिए पापहरणी में बोटिंग, पर्यटन विभाग की सफारी से मंदार परिक्रमा, कैफेटेरिया, सब कुछ लोगों के आकर्षण का केंद्र बना हुआ है। अभी एक पार्क और मोर पालन की योजना पर भी काम शुरू हुआ है।

पांच करोड़ से बना आर्ट एंड क्राप्ट मेला

पर्यटन विभाग ने मंदार आने वाले पर्यटकों के लिए पर्वत से थोड़ा पहले ही तिलारु गांव में पांच करोड़ की बड़ी लागत से आर्ट एंड क्राप्ट मेला तैयार कराया है। इसका निर्माण पूरा हो चुका है। अगले साल मेला तक इसके चालू हो जाने की संभावना है।

इसमें बांका की हस्तशिल्प की दुकानें संचालित करने की योजना है। बांका सिल्क, हस्तकरघा, मनिया की चांदी मछली, शहद, लेमनग्रास का तेल आदि की बिक्री का केंद्र बनेगा। इसके माध्यम से स्थानीय कलाकारी और उत्पाद दूर तक पहुंचेंगे।

मरांग बुरु व चंदर दास के भक्तों का बड़ा मेला

आदिवासी के बड़े त्योहार सोहराय यानी बंदना पोरोब पर बिहार-झारखंड के आदिवासियों की बड़ी आस्था मंदार से जुड़ी है। वे मंदार आकर कड़ाके की ठंड में चार दिनों तक पापहरणी तालाब में घंटों अराधना करते हैं।

Guru Chander Das has built a Safa Ashram in Mandar itself.

इसके बाद मंदार की तलहटी में भी चार दिन तक उनकी आस्था परवान चढ़ी दिखती है। संथाली समाज के बड़े गुरु चंदर दास ने मंदार में ही सफा आश्रम बनाया है। अपने गुरु की अराधना करने अधिकांश आदिवासी सोहराय में 10 जनवरी के आसपास मंदार में जुटते हैं।

मंदार शिखर पर जैन का मेला

जैन धर्म के 24वें तीर्थंकर भगवान महावीर की आस्था से भी मंदार जुड़ा हुुआ है। पर्वत शिखर पर जैन मंदिर है। इस मंदिर में पूजा-अर्चना के लिए हर साल देश के विभिन्न हिस्सों से जैन संप्रदाय के भक्त आते हैं।

Jain temple on mountain top

मंदार से सटा वासुपूज्य का एक बड़ा मंदिर भी जैन मतावलंबियों की आस्था का केंद्र है। इस कारण सालों भर जैन भक्त मंदार पहुंचते हैं।

ये हैं मंदार के प्रमुख आकर्षण

मंदार पर्वत के मध्य चढ़ाव पर सीताकुंड, नरसिंह भगवान की गुफा, शंख कुंड सहित दर्जनों मंदिर आस्था के केंद्र हैं। पर्वत के मध्य हिस्से में बिखरे पड़े कई प्राचीन अवशेष लोगों को आकर्षिक करते हैं।

इसके अलावा पर्वत के पहले चढ़ाव पर ही पूरे पर्वत पर खुदा रथ के पहिये का निशान लोगों को आश्चर्यचकित करता है। पर्वत की तलहटी में भगवान विष्णु का अष्टकमल मंदिर, प्राचीन वालिशा शहर के अवशेष, लखदीपा मंदिर, राम झरोखा आदि देखने लायक कई चीजें हैं।

मकर संक्रांति पर भव्य रथयात्रा

मकर संक्रांति पर मंदार में परंपरा के मुताबिक भव्य रथ यात्रा निकाली जाती है। बौंसी के मधुसूदन मंदिर से हजारों हजार भक्त भगवान को गरुड़ रथ पर सवारकर आस्था पूर्वक स्नान के लिए पापहरणी ले जाते हैं। रथ को भक्त खुद खींचते हैं।

Grand Rath Yatra on Makar Sankranti

पापहरणी में कई रस्मों के बाद भगवान को वापस मधुसूदन मंदिर लाया जाता है। इसके बाद सावन मास में भी पूरी तरह की तर्ज पर स्थानीय भक्त मंदार में भव्य रथयात्रा निकालते हैं।