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बिहार के बेगूसराय से नकली दारोगा गिरफ्तार, 5 साल से कर रहा था उगाही, SP साहेब ने आखिरकार पकड़ा

न परीक्षा..न दौड़..सीधे बन गए दारोगा, 5 साल तक बेगूसराय से मुंगेर तक की उगाही- SP ने ऐसे दबोचा.. : बिहार में आए दिन पुलिस प्रशासन से जुड़े नए नए मामले सोशल मीडिया पर सुर्खियों में रहते हैं। कुछ इसी प्रकार का सुर्खियों वाला ताजा मामला बिहार के मुंगेर जिला से आया है। जिसे जान आप भी हैरत में पड़ जाएंगे। दरअसल, एक शख्स फर्जी दरोगा बन पुलिस महकमे को 1-2 महीने नहीं बल्कि 5 सालों तक चकमा देता रहा।

गांव वाले को इस बात का तनिक भी भनक नहीं था : हम जिस फर्जी दरोगा की बात कर रहे हैं उसका पूरा नाम राहुल कुमार है। राहुल पुलिस की वर्दी के साथ-साथ दिमाग का पूरा भेजा इस्तेमाल करता था। मुंगेर जिले के धरहरा प्रखंड स्थित गोविंदपुर के रहने वाले इस ठग के कारनामे से गांव के लोग भी 5 वर्षाें से वर्दी की सच से पूरी तरह अनजान थे। खुद को बेगूसराय जिले में तैनाती की बात कहकर गांव वालों को दारोगा और सिपाही में भर्ती कराने के नाम पर मोटी रकम ठग रहा था। रौब ऐसा कि क्या सिपाही और क्या होमगार्ड, सब उसे सलाम ठोंकते रहे। उसके इस शातिराना दिमाग से हर कोई हैरान है। चलिए आपको पूरा बकाया मामला बताते हैं।

ठगी से पीड़ित लोगों ने एसपी से की शिकायत : आपको जानकर हैरानी होगी कि मुंगेर जिले के लड़ैयाटांड थाना के कुछ कर्मी भी इस ठग राहुल को असली दारोगा समझते थे। अंत में ठगी से पीड़ित कुछ लोगों ने इसकी सूचना मुंगेर एसपी को दी। एसपी ने तुरंत टीम को गठित कर फर्जी दारोगा की गिरफ्तारी सुनिश्चित कराई। मामले का खुलासा यह भी हुआ कि राहुल जिस तरह से पुलिस कर्मियों से दोस्ती, कैंप में जाकर तस्वीर लेना। पुलिस वाला जूता, मौजा और डबल स्टार लगाकर असली दरोगा की तरह चलता था।

बेगूसराय में 5 सालों से रह रहा था : अब सबसे बड़ा सवाल यह उठ रहा है कि राहुल विगत 5 सालों से बेगूसराय में किराए के मकान में रह रहा था। बावजूद भी किसी को इस बात की भनक तक नहीं लगी। यह बात हजम होने वाली नहीं है। राहुल को बेगूसराय में किसी न किसी का वरदहस्त मिला हुआ था। कोई तो है जो साथ दे रहा था, बहरहाल, यह पुलिसिया जांच का विषय है, मुंगेर पुलिस मामले की जांच कर रही है।

गांव वाले ने बताई पूरी सच्चाई : फर्जी दरोगा राहुल के गांव वालों ने जो बकाया मामला बताया उसे जानकर आप का भी दिमाग चकरा जाएगा। गांव वालों की मानें तो राहुल महीने में 8- 10 दिन गांव में रहता था। यहां भी वह वर्दी पहनकर ही निकलता था। यहां तक कि उसके नजदीकी पुलिस थाना लड़ैयाटांड थाना के पुलिसकर्मी भी फर्जी दरोगा राहुल को असली दरोगा समझते थे। राहुल अपने फर्जीवाड़ा को छुपाने के लिए पुलिस वालों के साथ सेल्फी लेकर सोशल मीडिया पर पोस्ट करता था।

अपने गांव में सिंघम की तरह पेश आता था : राहुल के ग्रामीणों का यह भी मानना है कि लगातार दारोगा की हुई बहाली के बाद गांव वालों को लगा कि शायद राहुल का भी चयन दारोगा में हुआ है। गांव वाले ये भी बताते हैं कि वो हाथ में रायफल लिए घूमता था, गाड़ी में सायरन बजाते हुए पूरा भौकाल जमाता रहा। हम सभी अदब से पेश आते थे फरियाद भी उसके पास लेकर जाते थे, तब वो कहता था हां ठीक है, संबंधित थाने से बात कर मामला साल्व करा दूंगा।

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