बिहार के युवा केवल सरकारी नौकरी ही नहीं बल्कि हर क्षेत्र में अपना जलवा बिखेर रहे है, इस बात को और भी अधिक बल मिला है बिहार के उस युवा राइटर से जिनके लिखे फिल्म को इस बार 68वें राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार में सफलता मिली है।
जी हाँ हम बात कर रहे है बिहार के चंपारण के रहने वाले संजीव कुमार झा की जिनकी लिखी मराठी फिल्म ‘सुमी’ को सर्वश्रेष्ठ बाल फिल्म का पुरस्कार मिला है। आम जीवन से जुड़ी इस फिल्म की कहानी दिल को छूती है।
संजीव झा ढाका प्रखंड के सोरपनिया निवासी नरेंद्र झा के पुत्र है, संजीव पूर्व में भी कई फिल्मों को लिख चुके है जिसमें ‘जबरिया जोड़ी’ काफी हिट भी साबित हुई थी। अभी वे एक बायोपिक फिल्म पर काम कर रहे हैं।
लेखक संजीव बताते हैं कि सुमी का कथानक लिखने की प्रेरणा खुद के शुरुआती जीवन से मिली। इस कहानी की भाषा भले ही मराठी हो, लेकिन यह देश की तमाम लड़कियों की कहानी है। संजीव ने कहा कि यह एक ऐसी लड़की की कहानी है, जिसे आगे पढ़ने के लिए साइकिल की जरूरत होती है। इस फिल्म में उसका और उसके परिवार का संघर्ष दिखाया गया है। इसे देखकर दर्शकों को लगेगा कि यह आम लड़की, परिवार व आसपास की कहानी है।
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मालूम हो कि संजीव की शुरुआती शिक्षा ढाका में हुई, मुजफ्फरपुर एलएस कालेज से 12वीं करने के बाद उन्होंने दिल्ली के जामिया मिल्लिया विश्वविद्यालय से साहित्य विषय से स्नातक किया। इसके पहले संजीव कुमार झा द्वारा लिखित ‘बारोट हाउस’ वेब सीरीज जी-5 ओटीटी प्लेटफार्म पर प्रदर्शित हो चुकी है।