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बिहार के कैमूर जिला का ईको टूरिज्म की ओर एक और कदम, यहाँ के जंगल मे बाघों को किया जाएगा संरक्षित

बिहार सरकार इन दिनों राज्य में पर्यटन स्थल को बढ़ावा देने के मकसद से निरंतर प्रयासरत है। प्रदेश के पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मामले के मंत्री नीरज कुमार सिंह ने कहा कि राज्य में इको टूरिज्म को बढ़ावा देने के मकसद से विशेष कार्य योजना तैयार कर बहुत जल्द काम शुरू किया जाएगा। विभागीय स्तर पर इको टूरिज्म को लेकर अलग विंग बनाया गया है। विभाग द्वारा आयोजित प्रोग्राम में मीडिया से मुखातिब होते हुए मंत्री ने ये बातें कहीं। इस मौके पर मंत्री ने बिहार संयुक्त प्रवेश प्रतियोगिता परीक्षा पर्षद द्वारा सलेक्टेड एवं अनुशंसित 40 में से 30 अमीनों को नियुक्ति पत्र सौंपा गया।

मंत्री नीरज कुमार ने कहा कि राज्य सरकार प्रदेश में वन्य क्षेत्रों के बढ़ावा और उनके संरक्षण हेतु निरंतर प्रयास कर रही है। राज्य में ग्रीन कवर एरिया को बढ़ाने पर लगातार कार्य चल रहा है। इसके प्रति लोगों को जागरूक करने का काम जारी है।

प्रतीकात्मक चित्र

उन्होंने कहा कि कैमूर के वन्य प्राणी आश्रयणी को टाइगर रिजर्व बनाने पर केंद्र सरकार ने हरी झंडी दी है। कैमूर वन्य प्राणी आश्रयणी को टाइगर रिजर्व के तौर पर विकसित करने को लेकर सरकार अपने स्तर से प्राथमिकता दे रही है। मालूम हो कि राज्य का सबसे बड़ा जंगली क्षेत्र कैमूर वन्य प्राणी आश्रयणी है।

बता दें कि यह आश्रयणी विंध्य पर्वत श्रृंखला से जुड़ा है। यह रोहतास और कैमूर जिला में 1465 वर्ग किलोमीटर में फैला है। संरक्षित इलाके मिलाकर टोटल 1800 वर्ग किलोमीटर है। कैमूर वन्य प्राणी आश्रयणी और मध्यप्रदेश के बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व के बीच रेनुकुट कारीडोर समृद्ध होने के वजह से बाघ यहां रहते हैं। जंगली कुत्ता, काला हिरण, चीतल, सांभर, जंगली सुअर, तेंदुआ, भालू, चिंगारा, शाहिल वह अन्य वन्य प्राणी भी हैं। इस दौरान कार्यक्रम में भारतीय वन सेवा के वरिय पदाधिकारी आशुतोष सहित अन्य अक्षर उपस्थित थे।

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