बर्मिंघम में हो रहे कॉमनवेल्थ गेम्स 2022 में भारत का शानदार प्रदर्शन जारी है. भारत ने अब तक 18 मेडल अपने नाम कर लिए जिसमें 5 गोल्ड, 6 सिल्वर और 7 कांस्य पदक शामिल हैं. इसके अलावा बॉक्सिंग में भी भारत ने दो पदक पक्के कर लिए. पुरुष कैटेगरी में मोहम्मद हसमुद्दीन और नीतू घंघास ने 48 किलो भारवर्ग में सेमीफाइनल में जगह बना ली.
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नीतू ने मुक्केबाजी में मेडल किया पक्का
नीतू ने कमाल का प्रदर्शन करते हुए ब्रांज मेडल पक्का कर लिया है. वो क्वार्टरफाइनल में आयरलैंड की मुक्केबाज निकोल क्लाइड को हराकर सेमीफाइनल में जगह बनाने में कामयाब रहीं. नीतू की इस कामयाबी के पीछे उनका संघर्ष और मेहनत रही. उनके परिवार ने भी उनका बहुत सपोर्ट किया. खास तौर से उनके पिता जय भगवान ने, जिन्होंने बेटी को मुक्केबाज बनाने के लिए अपनी नौकरी तक दांव पर लगा दी. आज बेटी ने मेडल जीतकर परिवार के साथ देश का नाम रोशन कर दिया.
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पिता ने बेटी के लिए दांव पर लगा दी नौकरी
हरियाणा के भिवानी जिले के धनाना गांव में जन्म हुआ. नीतू के पिता खुद मुक्केबाज बनना चाहते थे. बेटी हुई तो उसमें अपना सपना पूरा करने का ख्वाब देखने लगे. उसे मुक्केबाजी की तरफ प्रोत्साहित किया. उन्होंने बेटी को मुक्केबाज बनाने के लिए हरियाणा विधानसभा में अपनी नौकरी तक दांव पर लगा दी.
दरअसल, नीतू घंगास (Netu Ghangas) ने भी पिता के सपने को अपना सपना बना लिया था. वो ट्रेनिंग करती रहीं. उनके पिता ने बेटी को मुक्केबाज बनाने के लिए विभाग से लंबे समय तक छुट्टी ले ली. उनके खिलाफ विभागीय जांच चल रही है. कई साल से उन्हें वेतन भी नहीं मिला, लेकिन उनका सपना जरूर पूरा हो गया है. बेटी ने कॉमनवेल्थ गेम्स में मुक्केबाजी में ऐसा पंच मारा कि देश की झोली में एक और मेडल आ गया.
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‘नीतू चला रही घर’
वहीं नीतू के पिता न इंडियन एक्सप्रेस से हुई बातचीत में कहा कि “हमारा घर तो नीतू चलाती है, मैं तो बस उसके भारत के लिए पदक जीतने के सपने को सपोर्ट करता हूं. उसको किसी भी मुकाबले में जीतते हुए देखना मेरे लिए खुद करने जैसा है.”
रोजाना 20 किमी का सफर तय किया
नीतू ने भी अपने सपने को साकार करने के लिए कड़ी मेहनत की. रोजाना 20 किमी का सफर किया, ट्रेनिंग में जमकर पसीना बहया. नीतू घंगास दूसरों के लिए एक मिसाल बन चुकी हैं. अब देश को उनसे गोल्ड जीतने की उम्मीदें हैं.