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नीतीश शराबबंदी पर हाईकोर्ट ने जताई कड़ी टिप्पणी, कहा – बिहार में युवा हो रहे बर्बाद….

PATNA: नीतीश कुमार की बहुप्रचारित शराबबंदी की आज फिर पटना हाईकोर्ट ने पोल खोल दी है। पटना हाईकोर्ट ने आज कहा कि शराबबंदी कानून को लागू करने में सरकार पूरी तरह फेल हो गयी है। बिहार में अपराध लगातार बढ़ रहे हैं औऱ युवा पीढ़ी बर्बादी की कगार पर पहुंचती जा रही है। पटना हाईकोर्ट की सिंगल बेंच ने आज सरकार पर बेहद कड़ी टिप्पणी करते हुए मामले को चीफ जस्टिस की बेंच में रेफर कर दिया है। कोर्ट की सिंगल बेंच ने कहा है कि चीफ जस्टिस इस मामले को जनहित याचिका के तौर पर सुनवाई करें।

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पटना हाईकोर्ट में आज जस्टिस पूर्णेंदु सिंह की सिंगल बेंच ने शराबबंदी के कारण लंबित हजारों मामलों में जमानत की अर्जियों पर सरकार के कई महकमों से रिपोर्ट मांगी थी. सरकार के गृह , पुलिस, परिवहन, कमर्शियल टैक्स और मद्यनिषेध विभाग से मिली रिपोर्टों के आधार पर हाईकोर्ट ने बेहद तल्ख प्रतिक्रिया दी है. जस्टिस पूर्णेंदु सिंह की सिंगल बेंच ने कहा कि शराबबन्दी कानून को सही तरीके से लागू नही किये जाने के कारण बिहार में नये तरह के क्राइम बढते जा रहे हैं. इससे समाज पर बेहद बुरा असर पड़ रहा है. सिंगल बेंच ने कहा है कि हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस को इस मामले को जनहित याचिका के तौर पर संज्ञान में लेकर सुनवाई करना चाहिये।

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जस्टिस सिंह ने अपने 20 पन्ने के फैसले की शुरुआत में कहा है कि राज्य सरकार शराबबन्दी कानून को उसके सही जज्बे और मकसद से लागू करने में फेल हो गयी है। ऐसा इसलिए हो रहा है क्योंकि इस कानून को लागू नहीं होने देने वाले शराब तस्करों को पुलिस और राजनीतिक तबके का साथ मिल रहा है. कोर्ट ने कहा है कि सूबे में शराब तस्करों का एक संगठित गिरोह खड़ा हो गया है जो जो पड़ोसी राज्यों के साथ साथ नेपाल जैसे पड़ोसी देश से भी नियंत्रित होता है. सरकार की रिपोर्ट से ही इसका खुलासा हुआ है. इस संगठित गिरोह के खड़ा होने का मुख्य कारण पुलिस और राजनीतिक तबके का तस्करों के साथ गठजोड़ होना है।

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हाईकोर्ट ने कहा कि बिहार में शराबबंदी कानून के कारण सबसे ज्यादा 18 से 35 साल के लोग जेल गये हैं. बेहद चिंताजनक बात ये है कि किशोर यानि 18 साल से कम उम्र के लड़के इस जाल में फंसे हैं. शराब तस्करों के मकड़जाल में जिन लोगोँ को सबसे ज्यादा शामिल किया जा रहा है वे किशोर यानी जुवेनाइल तबके के लड़के हैं. जुवेनाइल लड़कों को सबसे ज्यादा शराब डिलिवरी में लगाया जा रहा है. शराब के केस में फंसे किशोरों की अनगिनत जमानत की अर्जियों से ये बात स्पष्ट रूप से सामने आयी है. शराब तस्कर किशोरों को अपने धंधे में शामिल कर रहे हैं ताकि उन्हें जुवेनाइल होने का फ़ायदा मिले और अगर पकड़े भी जायें तो जल्दी बरी हो जाएं।

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हाईकोर्ट ने कहा है कि शराबबंदी के बाद एक औऱ बेहद गंभीर बात सामने आ रही है. जो बात सबसे तेजी से उभर कर आ रहा है वह है प्रतिबन्धित ड्रग्स और नशीले पदार्थों का सेवन. इसमें खासकर किशोर वय के लड़कों की सबसे ज्यादा संलिप्तता सामने आयी है।

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हाईकोर्ट ने कहा है कि शराबबंदी के बाद बिहार में नये किस्म के क्राइम का ग्राफ बढ़ा है. बिहार में गाड़ियों की चोरी, नंबर प्लेट , इंजिन, चेचीस बदलने और फर्जी गाड़ी का रजिस्ट्रेशन कराने का ग्राफ बहुत बढ़ा है. बिहार सरकार के परिवहन विभाग के आंकड़े ही साफ बताते हैं कि परिवहन अधिकारियों के पास गाड़ियों से शराब तस्करी रोकने का कोई उपाय नहीं है।

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हाईकोर्ट ने अपने फैसले में कहा है कि शराबबंदी पर खुद सरकार की निष्कियता सामने आ रही है. सरकार ने पिछले पांच सालों में शराब के मामलों में दोषी पाये गये या लापरवाही के आरोपी कुछ ही अफसरों के खिलाफ कार्रवाई की है. शराब के मामलों में बिहार पुलिस के अनुसंधान से लेकर ज़ब्ती जैसी प्रक्रियाओं में कई खामियों के कारण भी शराब तस्करी तेजी से बढ़ी है।

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हाईकोर्ट ने कहा है शराबबंदी के बाद बड़े दुष्परिणाम देखने को मिल रहे हैं. हाईकोर्ट की बेंच ने पाया है कि राज्य के मजदूर वर्गों की कार्य क्षमता में कमी आ गयी है. ऐसा इसलिए हुआ है क्योंकि शराबबन्दी के कड़े कानून की वजह से भारी तादाद में लोग जेल गए या मोटा जुर्माना राशि भरा. इसकी वजह से शरीरिक और मानसिक तौर पर उनका मनोबल गिर गया है. सरकार ने ये आकलन ही नहीं किया है कि शराबबंदी का बिहार के लोगों की कार्य क्षमता पर क्या असर पड़ा है।

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हाईकोर्ट की सिंगल बेंच ने कहा है कि सबसे खतरनाक बात है जहरीली शराब का निर्माण और सेवन. इससे एक ओर लोग मर रहे हैं दूसरी ओर जिस तरह से जहरीली शराब के हज़ारों लीटर को एक जगह नष्ट किया जाता है उसका बड़ा दुष्परिणाम हो रहा है. जहरीली शराब का केमिकल मिट्टी के साथ साथ भू गर्भ जल को नष्ट करता है. राज्य सरकार ने इस मामले में पर्यावरण संरक्षण के लिए कोई कदम ही नहीं उठाया है.

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