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नहीं मिली सरकारी नौकरी, अब गेंदा फूल की खेती से महीने का कमा रहे डेढ़ लाख रुपये, YouTube से सीखा तरीका

बिहार के भोजपुर के दीपक की भी सरकारी नौकरी नहीं लगी थी। दीपक ने डिफेंस में नौकरी न लगने पर परंपरागत खेती से हटकर गेंदा फूल की खेती शुरू की। इतना ही नहीं आसपास के युवकों के लिए अब वे प्रेरणा भी बन गए हैं।

आजकल बिहार समेत भारत में सरकारी नौकरी के चक्कर में युवा वर्ग दर-दर भटक रहे हैं। बिहार के भोजपुर के दीपक की भी नौकरी नहीं लगी थी। लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी और फूलों से अपने जीवन को गुलजार किया।

दीपक ने डिफेंस में नौकरी न लगने पर परंपरागत खेती से हटकर गेंदा फूल की खेती शुरू की। आज वह चरपोखरी में गेंदे की कई प्रजाति की खेती कर फेस्टिवल सीजन में रोजाना 5 हजार रुपए कमा रहे हैं।

cultivation-of-marigold

आरंभ की गेंदे के फूल की खेती

बेनुआ टोला निवासी उपेंद्र कुमार के 24 वर्षीय पुत्र दीपक कुमार को डिफेंस में जाने का मन था। प्रारंभिक शिक्षा के बाद उन्होंने कई परीक्षाएं भी दी।

बहाली के लिए दौड़ भी लगाई लेकिन उनके हाथ सफलता नहीं लगी। जब उनकी नौकरी नहीं लगी और उन्हें इस क्षेत्र में कोई आशा नजर नहीं आई तो वे अपने घर लौटे।

Life enriched by floriculture

हालांकि दीपक का परिवार कई वर्षों से परंपरागत खेती गेंहू, धान जैसी फसलों का उत्पादन करता रहा। लेकिन इन सारी परम्पराओं को छोड़ दीपक ने कुछ अलग सोचा और मालगुजारी पर खेत लेकर गेंदे के फूल की खेती आरंभ की।

ढाई बिगहे में लगे फूल की खेती हुई बर्बाद

दीपक ने कोरोना काल 2020 से दो महीने पहले ढाई बिगहे में गेंदा फूल के चार प्रजाति की खेती की लेकिन लॉकडाउन के कारण मंदिर, मस्जिद, शादी समारोह समेत अन्य पार्टी पर पूर्ण प्रतिबंध के बाद ढाई बिगहे में लगे करीब एक लाख रुपए लागत वाले फूल पूरी तरह बर्बाद हो गए।

इस दौरान तो दीपक थोड़े मायूस और परेशान हुए लेकिन हिम्मत नहीं हारी। एक बार ढाई बिगहे में फिर से गेंदे फूल के पौधे लगाए।

Deepak started cultivating marigold flower by moving away from traditional farming due to lack of job in defense

आज ऑफ सीजन में वो प्रति दिन 12 सौ से 15 सौ रुपए और लगन, पर्व-त्योहार में चार हजार से 5 हजार कमा रहे हैं। इतना ही नहीं आसपास के युवकों के लिए अब वे प्रेरणा भी बन गए हैं।

बिहार के कई इलाकों में होती है फूल की सप्लाई

प्रतिदिन खेतों से ताज़ा फूलों को निकाल कर नोखा, विक्रमगंज, सासाराम, डिहरी, कैमूर भभुआ, बक्सर,आरा, पीरो, बबुरा, पटना के कुछ इलाकों में फूलों की सप्लाई होती है।

धार्मिक और मांगलिक अवसर पर फूलों की डिमांड और भी ज्यादा बढ़ जाती है। दीपक के फूलों की डिमांड मांगलिक कार्यों, धार्मिक अनुष्ठानों, सामाजिक आयोजनों, सरकारी कार्यक्रम समेत कई कार्यक्रमों में होती है। चैत नवमी और लगन की शुरुआत होते ही फूलों की एडवांस डिमांड बढ़ जाती है।

यूट्यूब से देख कर सीखा फूलों की खेती

दीपक ने बताया कि फूलों की खेती यूट्यूब से देख कर सीखी। वे उसकी सेवा यूट्यूब से देखकर ही करते हैं। किसान गेंदे के फूलों की खेती से साल में चार फसलें लेकर मोटा मुनाफा कमा सकते हैं।

उन्नत बीज वाले गेंदे की बारहों मास खेती की जा सकती है। हाइब्रीड गेंदा जनवरी में लगाकर तीन माह के भीतर मार्च से इसमें कमाई होने लगती है जो सिलसिला जून तक चलता है।

flower price off season and in season

उसके बाद जुलाई में बरसाती देसी गेंदे की खेती शुरू की जा सकती है। यह गेंदा दीपावली तक अच्छी कमाई देने लगता है। उसके बाद जनवरी तक छोटे गेंदे, गुट्टी फूल की खेती शुरू की जा सकती।

फूलों की खेती के माध्यम से होने वाली कमाई से दीपक की जिंदगी महक उठी है। अब वे फूलों की खेती का विस्तार करने की सोच में हैं। अब दीपक किसी के पहचान की मोहताज नहीं हैं। दीपक अपने गांव और पंचायत में फूल वाले दीपक के नाम से जाने जाते हैं।

परंपरा से हट कुछ अलग करें

दीपक बताते है कि नौकरी के लिए बहुत बार कोशिश की लेकिन नहीं लगी। परिवार का पालन-पोषण करना है तो कुछ करना ही होगा। मेरे पिता जी गेंहू, धान की खेती करते थे। हमने सोचा कि ये सब तो साल में एक बार ही होता है।

क्यों न इस परंपरा से हट कुछ अलग करें। लॉक डाउन के समय शुरुआत की फूलों की खेती भी अच्छी हुई। लेकिन प्रतिबंध होने के कारण सारा बर्बाद हो गया।

फिर भी हिम्मत नहीं हारी फिर से कुछ नया किया और आज इस मुकाम पर हैं। आगे गुलाब, रजनी गेंदा जैसे कई फूलों की खेती करेंगे।