एक पैर पर विद्यालय जाने वाली सीमा की कहानी लोगों के सामने आने के बाद जमुई जिले में ऐसी ही एक और कहानी सामने आई है. जहां 10 साल के लड़के ने एक पैर गंवाने के बावजूद पढ़ाई को लेकर अपनी ललक दिखाई है. इतना ही नहीं मदद की उम्मीद में उसने अपने पड़ोसी के जरिए एक वीडियो वायरल करवाया है. जिसमें उसने कहा है कि उसे मदद की आवश्यकता है. ऐसे में अब बड़ा सवाल है कि क्या जब तक किसी जरूरतमंद का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल नहीं होता तब तक उसे मदद सरकार के द्वारा कोई मदद नहीं मिल सकती.
ऑटो दुर्घटना में काटना पड़ा एक पैर
दरअसल यह कहानी है जमुई जिले के खैरा प्रखंड क्षेत्र के खड़ाइच पंचायत के डुमरियाटांड के रहने वाले नवीन मांझी के 10 वर्षीय पुत्र अमित कुमार की है. जो शीतलपुर मध्य विद्यालय में तीसरी कक्षा का छात्र है. 2 वर्ष पूर्व एक ऑटो दुर्घटना में चिकित्सकों ने उसका पैर काटने की सलाह दी थी. जिसके बाद से ही वह एक पैर पर रह रहा है. सीमा की तरह अमित भी पढ़ना लिखना चाहता है, लेकिन शारीरिक अक्षमता के कारण उसके सामने एक बड़ी रुकावट आ गई है. हौसले तो बुलंद हैं मगर एक पैर नहीं होना उसके इरादों को हर बार कमजोर करता है.
आर्टिफिशियल पैर लगवा कर कराया इलाज
अमित के पिता नवीन मांझी ने बताया कि पुत्र के पैर काटे जाने के बाद उसे चलने फिरने में समस्या आने लगी. आर्टिफिशियल पैर लगवाने की बात तो दूर हम आर्थिक रूप से इतने संपन्न नहीं है कि उसका इलाज भी सही ढंग से करा पाते. ऐसे में हम उसे न तो ट्राई साइकिल खरीद कर दे पा रहे हैं, और ना ही हम उसका आर्टिफिशियल पैर लगवा कर उसका इलाज करवा पा रहे हैं.
दरवाजा खटखटाया लेकिन नहीं मिली कोई मदद
अमित के पिता ने कहा कि तब हमें बताया गया कि सरकार के द्वारा दिव्यांग बच्चों के लिए आर्टिफिशियल रूप से वैशाखी और ट्राई साइकिल आदि का वितरण किया जाता है. जिसके बाद 2 वर्ष तक लगातार मैंने प्रखंड से लेकर जिला स्तर तक के सभी पदाधिकारियों का दरवाजा खटखटाया और एक ट्राई साइकिल देने की गुहार लगाई. पर किसी पदाधिकारी ने हमारी बात नहीं सुनी. नतीजतन अमित भी सीमा की ही तरह एक पैर पर कूद-कूद कर स्कूल जाता है.
अब मंत्री ने दिलाया मदद का भरोसा
इधर मामले की सूचना जब स्थानीय ग्रामीण और जनप्रतिनिधियों को हुई तब खैर सरपंच संघ के अध्यक्ष अनिल रविदास के द्वारा बिहार सरकार के विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्री सुमित कुमार सिंह को इसकी जानकारी दी गई. जिसके बाद रविवार सुबह मंत्री सुमित सिंह ने अमित कुमार और उसके परिजनों से वीडियो कॉल के जरिए बातचीत की तथा उन्हें मदद का आश्वासन दिया है.
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मदद के लिए वायरल होने का इंतजार क्यों?
मंत्री ने कहा है कि अमित को जल्द ही ट्राई साइकिल दिया जाएगा और आर्टिफिशियल पर भी लगाया जाएगा. अमित और सीमा की कहानी के बाद अब एक सवाल जो उठना लाजिमी है कि आखिर ऐसे और भी कितने बच्चे हैं जिन्हें मदद की आवश्यकता है और उन्हें मदद के लिए वायरल होने का इंतजार है. क्योंकि जो अवधारणा बनाने लगी है उसके अनुसार अगर जब तक वह वायरल नहीं होंगे तब तक किसी भी रूप से उन्हें मदद नहीं पहुंचाई जा सकेगी.