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तिरंगे में लिपटा शहीद रामानुज का पार्थिव शरीर बिहार पंहुचा, देशभक्ति के नारों से गूंजा आसमान

शहीद रामानुज कुमार का तिरंगे में लिपटा पार्थिव शरीर आज उनके पैतृक गांव परियों पहुंचा। इसके साथ ही इलाके के लोगों ने ‘रामानुज अमर रहे’ का नारा लगाना शुरू कर दिया। भारत माता के जयकारे और हिंदुस्तान जिंदाबाद के नारों से पूरा इलाका गूंज रहा था।

लद्दाख में सेना की बस के नदी में गिरने के हादसे में शहीद हुए बिहार के लाल रामानुज कुमार का तिरंगे में लिपटा पार्थिव शरीर उनके पैतृक गांव परियों पहुंचा।

इसके साथ ही इलाके के लोगों ने ‘रामानुज अमर रहे’ का नारा लगाना शुरू कर दिया। भारत माता के जयकारे और हिंदुस्तान जिंदाबाद के नारों से पूरा इलाका गूंज रहा था। अधिकारी और गांव-घर के लोग श्रद्धांजलि देने के लिए हजारों की संख्या में जुटे हैं।

Officials and people from village to house gathered in thousands to pay tribute
अधिकारी और गांव-घर के लोग श्रद्धांजलि देने के लिए हजारों की संख्या में जुटे

मौके पर पालीगंज एसडीम मुकेश कुमार, पालीगंज के एएसपी के अलावा अन्य कई अधिकारी और जनप्रतिनिधि मौजूद हैं। सेना की गाड़ी में शहीद का शव उनके घर तक पहुंचा।

सेना के 7 जवान शहीद

आपको बता दें कि लद्दाख में हुए हादसे में सेना के 7 जवान शहीद हो गए थे। इन 7 जवानों में एक जवान पटना जिले के पालीगंज अनुमंडल क्षेत्र के परियों गांव के रहनेवाले ललन यादव का सबसे छोटा बेटा रामानुज कुमार भी थे।

7 army soldiers martyred in accident in Ladakh
लद्दाख में हुए हादसे में सेना के 7 जवान शहीद

रामानुज के शहीद होने की सूचना के बाद से ही गांव और परिवार में मातम पसर गया था। रामानुज के पिता सदमे में हैं, वे बार-बार बेहोश हो जा रहे हैं। मां और दोनों बहनों का रो-रोकर बुरा हाल है और परिवार के लोग शोक में डूबे हैं।

महाराष्ट्र के मराठा रेजीमेंट के लिए हुआ था चयन

आपको बता दें कि ललन यादव के तीन बेटा और दो बेटियों में रामानुज सबसे छोटे थे। 23 सितंबर 2016 को उनका चयन महाराष्ट्र के मराठा रेजीमेंट के लिए हुआ था।

Ramanuj Kumar of Bihar
बिहार के लाल रामानुज कुमार

रामानुज के दो बड़े भाइयों में एक रेलवे की नौकरी करते हैं जबकि एक भाई प्राइवेट कंपनी में। शहीद रामानुज के चाचा इंद्रदेव प्रसाद यादव ने बताया कि फिलहाल रामानुज लद्दाख में पोस्टेड था।

रामानुज लद्दाख में सड़क हादसे में शहीद

पिछले महीने 20 अप्रैल को बहन की शादी में वह घर आया था और 26 अप्रैल को ड्यूटी पर चले गए थे। चाचा ने बताया कि स्थानीय पुलिस और मुखिया ने उन्हें इस हादसे की सूचना दी।

शहीद जवान रामानुज के चचेरे भाई कुंदन ने बताया कि कल शाम 6:00 बजे स्थानीय पुलिस प्रशासन और पंचायत के प्रतिनिधियों से सूचना मिली कि रामानुज लद्दाख में सड़क हादसे में शहीद हो गए हैं।

लद्दाख के तुरतुक सेक्टर में हुई दुर्घटना

आपको बता दें कि लद्दाख के तुरतुक सेक्टर में हुई इस दुर्घटना में भारतीय सेना के 7 जवानों की जान चली गई थी, जबकि अन्य गंभीर रूप से घायल हुए थे।

सेना के प्रवक्ता के मुताबिक, 26 सैनिकों का एक दल परतापुर में ट्रांजिट कैंप से हनीफ सब-सेक्टर में एक अग्रिम स्थान की ओर बढ़ रहा था।

सुबह लगभग 9 बजे, थोइस से लगभग 25 किमी दूर वाहन सड़क से फिसलकर लगभग 50-60 फीट नीचे श्योक नदी में जाकर गिरा। इस हादसे में 7 जवानों को मृत घोषित किया गया था।