झारखंड में देवघर के त्रिकुट पर्वत पर हुए रोप-वे हादसे ने कई परिवारों को गहरा सदमा पहुंचाया है. भले ही एयरफोर्स के जांबाज अपने रेस्क्यू ऑपरेशन के जरिए 45 से अधिक लोगों को बचाने में सफल रहे. लेकिन इस हादसे में मारे गए तीन लोगों का परिवार ये दिन कभी नहीं भूल पाएगा. एयरफोर्स के जवानों ने रेस्क्यू कर रहे हेलीकॉप्टरों के नीचे जाल बिछा रखा था ताकि वो हर एक जान बचा सकें लेकिन उन्हें शत प्रतिशत सफलता नहीं मिली.
झारखंड हाई कोर्ट ने इस दुखद हादसे पर स्वतः संज्ञान लिया है और विस्तृत जांच के साथ-साथ राज्य सरकार से विस्तृत रिपोर्ट भी मांगी है. बता दें, 2011 में त्रिकुट पर्वत रोप-वे में अनियमितता की जांच को लेकर मांग उठी थी. उस वक्त भी एक हादसा हुआ था, जिसमें 3 लोग घायल हुए थे. साल 2009 में गठित एक टेक्निकल टीम ने भी इस रोप वे प्रोजेक्ट की क्षमता पर बड़े सवाल खड़े किए थे लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई. राज्य के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन द्वारा भी संबंधित अधिकारियों को निर्देश दिए जा चुके हैं कि घटना के असली कारण का पता लगाएं.
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झारखंड के देवघर जिले में बाबा बैद्यनाथ मंदिर के पास त्रिकुट पहाड़ी पर कई रोपवे ट्रॉलियां आपस में टकरा गईं थीं. जिसके बाद सेना ने रेस्क्यू ऑपरेशन शुरू किया था. 46 घंटों की कड़ी मेहनत के बाद 47 जानें बचा ली गईं जबकि 2 महिला समेत तीन लोगों की मौत हो गई. रोप-वे के चलने के लिए घटना स्थल पर तारों का जाल था. इस वजह से सेना के हेलीकॉप्टर को ऑपरेशन को अंजाम देने में तमाम दिक्कतों का सामना करना पड़ा.