परिवार से बाहर का व्यक्ति भी वसीयत में संपत्ति का हकदार : सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के दौरान बड़ा फैसला सुनाया है। ताजा अपडेट के अनुसार अगर परिवार में संपत्ति को लेकर किसी तरह का विवाद होता है तो परिवार का मुखिया अपनी इच्छा के अनुसार परिवार से बाहर संबंध रखने वाले आदमी को भी अपनी वसीयत में स्थान दे सकता है। जानकारी अनुसार सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि संपत्ति का मालिक वसीयत के जरिये परिवार के बाहर के व्यक्तियों के पक्ष में भी अपनी संपत्ति दे सकता है। यह कहते हुए सुप्रीम कोर्ट ने दूसरी पत्नी को संपत्ति देने की वसीयत को सही ठहराया और मद्रास उच्च न्यायालय का फैसला निरस्त कर दिया।
इस मामले में सरोजा अम्माल ने टाइटल की घोषणा के लिए एक वाद दायर किया था। उनका दावा था कि वह मुनिसामी चेट्टियार की पत्नी थी। उसने अपने टाइटल का दावा मुनिसामी की आखिरी वसीयत से किया था, जिसमें उसे संपत्ति दी गई। ट्रायल कोर्ट ने वाद का फैसला उसके पक्ष में दिया, लेकिन मुनिसामी के बच्चों ने इसका विरोध किया और मद्रास हाईकोर्ट में अपील की। अपील में हाईकोर्ट ने वाद को खारिज कर दिया और कहा कि वह दूसरे व्यक्ति मारीमुथु की पत्नी थी और उसे दो बच्चे भी हैं। ऐसे में उसे मुनिसामी की पत्नी कैसे माना जा सकता है। उसे वसीयत का लाभ नहीं दिया जा सकता।
इस फैसले को शीर्ष अदालत में चुनौती दी गई। कोर्ट ने कहा कि यहां हमें यह नहीं देखना चाहिए कि पक्षों का क्या संबंध था। हमें यह देखना है कि वसीयत वैध और सही है या नहीं।