पूर्व आईपीएस आचार्य किशोर कुणाल, श्री राम जन्मभूमि पुनरोद्धार समिति की ओर से अयोध्या विवाद के मुकदमे में पक्षकार रह चुके हैं। लेकिन, 1992 की घटना में हुए बाबरी विध्वंस को लेकर साफ कहते हैं, तब मैं इस घटना से खुश नहीं था। लेकिन, अब लगता है उस दिन बाबरी मस्जिद नहीं टूटता तो आज वहां भव्य मंदिर नहीं बन रहा होता। कुणाल के मुताबिक उसी विध्वंस के दौरान वहां मंदिर के शिलालेख मिले थे और तब इस विश्वास को प्रमाण मिला कि ये भूमि भगवान रामलला की है।

कुणाल कहते हैं तब मेरी पोस्टिंग केन्द्र में थी, सच कहूं तो मुझे कभी ये नहीं लगा था कि इतनी आसानी से बाबरी मस्जिद गिर जाएगा। कुणाल के मुताबिक उन्हें एक पुलिस अधिकारी के तौर पर गोलियां चलने और कारसेवकों की लाशें बिछने का डर था और इसीलिए उन्होंने केंद्र से अपनी पोस्टिंग वापस बिहार करा ली थी। उनकी मानें तो इसकी पूरी संभावना थी दिल्ली से उन्हें वहां भेजा जाता। वो कहते हैं कि मैं कारसेवकों की लाशें नहीं देखना चाहता था।
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