वीरपुर (सुपौल)। अनुमंडल मुख्यालय की बसंतपुर पंचायत के फतेहपुर वार्ड नंबर 02 निवासी बंगाली मूल के ताराचंद्र घोष (70) रसगुल्ला बनाकर बहंगा पर लेकर घूम-घूमकर बेचते हैं। इनके पिता भी कोसी योजना के स्थापना काल (1957) से ही यही काम कोसी कालोनी एवं बस्तियों में करते थे। इनके पूर्वज कभी बांग्लादेश से आकर इस क्षेत्र में कहीं बसे थे। कोसी योजना के स्थापना काल के दौरान इनके पूर्वज वीरपुर में झोपड़ी बनाकर यह धंधा करने लगे जो आज भी इनके परिवार के जीविकोपार्जन का मुख्य साधन है। इनके रसगुल्ले की लोकप्रियता इतनी कि हाथों-हाथ बिक जाते हैं। देखा जाए तो कंधे पर इनकी दुकान के रसगुल्ले के हजारों कद्रदान हैं।
रसोगुल्ला-रसोगुल्ला की आवाज का बच्चों को रहता है इंतजार
ताराचंद्र घोष ने बताया कि यह उनका पुस्तैनी धंधा है। कंधे पर बहंगा के दोनों तरफ बर्तन में रसगुल्ला लेकर सुबह सबेरे ही कोसी कालोनी की सड़कों पर, गली-मोहल्लों में तथा कोचिंग सेंटरों के आसपास एवं गोल चौक तक रसोगुल्ला-रसोगुल्ला की आवाज लगाते नजर आ जाते हैं। इस आवाज का इंतजार बच्चों को रहता है। न तो रसगुल्ले को तौल कर इनके पूर्वज बेचते थे और ना ही ये बेचते हैं। गिनती के हिसाब से दर होता है और अखबार के टुकड़ों में ये रसगुल्ले देते हैं। स्कूली बच्चों और जिन गली-मोहल्लों में ये अधिकांश बेचने जाते हैं वहां तो खरीदार हैं ही इनके फैन भी बहुत हैं।
बुजुर्गों का ललचाता है जी
इसमें कई ऐसे लोग भी हैं जो कभी जब बच्चे थे तो इनके पिता से रसगुल्ला खरीदते थे और अब उसी स्वाद और उसी साइज में इनसे खरीदते हैं। इनके फैन 80 वर्षीय तीर्थानंद झा, सेवानिवृत्त शिक्षक हसन प्रसाद सिंह हसता, उमेश दास आदि का कहना है कि जो स्वाद इनके पिता के बनाए रसगुल्ले में था वही आज भी बरकरार है। बताया कि उस समय जब हमलोग बच्चे थे तो उनके आने का इंतजार करते थे आज भी बच्चों के साथ उनके आने का इंतजार रहता है। यह अलग बात है कि स्वास्थ्य कारणों से बचपन की तरह रसगुल्ले नहीं खा पाते हैं लेकिन जी तो ललचाता रहता है।
सम्बंधित ख़बरें
![](https://biharwow.com/wp-content/uploads/2024/12/Muzaffarpur-wow-sikandarpur-marine-drive-smart-city-water-fountain-150x100.webp)
![](https://biharwow.com/wp-content/uploads/2024/12/Muzaffarpur-wow-cold-weather-winter-150x100.webp)
![Muzaffarpur Airport](https://biharwow.com/wp-content/uploads/2024/12/Muzaffarpur-Airport-New.jpg-150x100.webp)
![](https://biharwow.com/wp-content/uploads/2024/12/Muzaffarpur-wow-Electric-smart-Meter-150x100.webp)
![](https://biharwow.com/wp-content/uploads/2024/12/Muzaffarpur-wow-24-saal-ki-larki-50-saal-ke-baap-se-karli-shadi--150x100.webp)
कीमत की तो पूछिए मत
जहां तक कीमत की बात है तो इसकी तो पूछिए मत, यहां तक कि यकीन ना हो। एक रुपये में एक रसगुल्ला। हां यह दूसरी बात है कि साइज छोटा होता है। बाजार में दस रुपये में एक रसगुल्ला मिलता है। साइज की अगर बात करें तो बाजार के एक रसगुल्ले से इनका तीन रसगुल्ला बन सकता है लेकिन स्वाद इनका भी लाजवाब होता है।