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आम, केला और निम्बू के बाद चौथे स्थान पर होती है अमरुद की खेती, जानिए क्या है इसके फायदे

अमरुद की खेती फल के रूप में की जाती है। अमेरिका और वेस्ट इंडीज़ के उष्ण कटिबंधीय भाग अमरुद की उत्पत्ति के लिए जाने जाते है। वर्तमान समय में भारत की जलवायु में यह इतना घुल मिल गया है कि इसकी खेती यहाँ अत्यंत सफलतापूर्वक की जाती है।

अमरुद की खेती फल के रूप में की जाती है। अमेरिका और वेस्ट इंडीज़ के उष्ण कटिबंधीय भाग अमरुद की उत्पत्ति के लिए जाने जाते है।

वर्तमान समय में भारत की जलवायु में यह इतना घुल मिल गया है कि इसकी खेती यहाँ अत्यंत सफलतापूर्वक की जाती है। ऐसा माना जाता है की भारत में अमरुद की खेती का आरम्भ 17वी शताब्दी में हुआ था।

Guava cultivation in India was started in the 17th century.
भारत में अमरुद की खेती का आरम्भ 17वी शताब्दी में हुआ था

लेकिन आज के समय में अमरुद की फसल को आम,केला और निम्बू के बाद चौथे स्थान पर सबसे ज्यादा उगाई जा रही है।

अमरुद में पाये जाते हैं कई औषधीय गुण

जाड़े की ऋतु में यह बहुत अधिक और सस्ता मिलता है। जिसके वजह से लोग इसे गरीबों का सेब कहते हैं। यह स्वास्थ्य के लिए बहुत लाभदायक फल है। भारत की जलवायु में उगाये गए अमरूदों की मांग विदेशो में बढ़ती ही जा रही है।

The demand for guavas grown in India is increasing in foreign countries.
भारत में उगाये गए अमरूदों की मांग विदेशो में बढ़ती ही जा रही है

विदेशो में बढ़ती मांग के वजह से इसकी खेती व्यापारिक रूप से भी की जा रही है। अमरुद में कई औषधीय गुण भी होते है। अमरुद में विटामिन ए,बी और सी की मात्रा अधिक पाई जाती है.इसमें कैल्शियम,आयरन और फास्फोरस भी भरपूर मात्रा में पाया जाता है। अमरुद से जूस,जैम और जेली बनायी जाती है।

अमरुद के पत्ते भी होते हैं गुणकारी

भारत में अमरुद की फसल बिहार,आंध्र प्रदेश,पंजाब,उत्तर प्रदेश और बंगाल जैसे राज्यों में अधिक मात्रा में जाती है। किसान अमरुद की खेती कर अच्छी कमाई कर सकते हैं।

अमरुद का इस्तेमाल दांतो से सम्बंधित रोगों को दूर करने में किया जाता है। और अमरुद की पत्तियों को चबाने से दांत में कीड़ा लगने खतरा कम होता है।

Guava leaves are also beneficial
अमरुद के पत्ते भी होते हैं गुणकारी

अमरुद हिमोग्लोबीन की कमी को दूर करता है। आहार विशेषज्ञों के अनुसार अमरुद रक्त में शुगर की मात्रा कम करता है। इसमें पाया जाने वाला लाइकोपीन तत्व त्वचा में निखार लाता है। यह कोलेस्ट्रॉल को कम करता है. जिससे दिल सबंधी बीमारी होने की संभावना कम होती है।

खेती के लिए बलुई दोमट मिट्टी को सबसे उपयुक्त

अमरुद की खेती किसी भी उपजाऊ मिट्टी में की जा सकती है.इसकी खेती के लिए बलुई दोमट मिट्टी को सबसे उपयुक्त माना जाता है। इसकी खेती सबसे अधिक शुष्क और अर्ध शुष्क जलवायु वाले क्षेत्रों में की जाती है।

अमरुद के पौधे सर्द और गर्म दोनों ही जलवायु को आसानी से सहन कर लेते है। अमरुद के पेड़ पौध रोपाई के दो से तीन वर्ष बाद फलों की तुड़ाई के लिए तैयार हो जाते है।

From guava plant, 400 to 600 fruits are obtained annually.
अमरूद के पौधे से प्रतिवर्ष 400 से 600 फल तक प्राप्त होते हैं

एक पूर्ण विकसित अमरूद के पौधे से प्रतिवर्ष 400 से 600 फल तक प्राप्त होते हैं। जिनका वजन 125 से 150 किलो ग्राम होता है।

बागवानी के लिए सबसे उत्तम इलाहाबादी सफेदा

अमरुद की उन्नत किस्में जो बागवानी के लिए उपयुक्त मानी जाती हैं वे इस प्रकार हैं। इलाहाबादी सफेदा,सरदार 49 लखनऊ,सेबनुमा अमरूद,इलाहाबादी सुरखा और बेहट कोकोनट आदि हैं।

best allahabadi safeda for gardening
बागवानी के लिए सबसे उत्तम इलाहाबादी सफेदा

इसके अतिरिक्त चित्तीदार,रेड फ्लेस्ड,ढोलका,नासिक धारदार,आर्क मृदुला पंत प्रभात और ललित अमरूद आदि किस्में हैं। इलाहाबादी सफेदा बागवानी के लिए सबसे उत्तम है।