PATNA- कल तक जिस आईएएस अधिकारी को उसके काम के लिए विशेष अवार्ड मिलता था आज उसे गिरफ्तार कर लिया गया है। वह दोषी है या निर्दोष यह जांच का विषय है। फिलहाल कहा जा रहा है कि वह आतंकी संगठन की मदद करता था। पुलिस ने उसे गिरफ्तार कर लिया है। जांच शुरू कर दी है। इस मामले में वरिष्ठ पत्रकार रविश कुमार और आवेश तिवारी कहते हैं कि….
यह अरविंद दिग्विजय नेगी हैं 2017 से पहले एनआईए का एसपी था। हिमाचल प्रदेश कैडर के राज्य पुलिस सेवा के इस अधिकारी ने हुर्रियत टेरर फंडिंग, आईएस रिक्रूटमेंट और फेक करेंसी को लेकर जबरदस्त काम किया हिमाचल प्रदेश में एमबीबीएस प्रवेश स्कैम का खुलासा भी इसी ने किया। हुर्रियत की टेरर फंडिंग केस का खुलासा करते वक्त इसने क्या क्या खटकर्म किये इसका खुलासा तो कभी नही हो पायेगा लेकिन एनआईए ने इसके काम से खुश होकर न सिर्फ इसे आईपीएस कैडर दिया बल्कि इस पुलिस मैडल से नवाजा गया। अब अरविंद को गिरफ्तार कर लिया गया है यह कहकर कि वह आतंकियों को सूचना मुहैया करा रहा था। सवाल यह उठता है कि एनआईए ने उस वक्त इसे पुरस्कृत किस बिनाह पर किया था?
आई पी एस बनना आसान नहीं होता। कई साल तक दिन रात पसीना बहाना होता है। तब जाकर सपना पूरा होता है लेकिन आईपीएस बनने के बाद सपने बदल जाते हैं। दोनों ख़बरें आईपीएस अधिकारी से संबंधित हैं। पहली ख़बर में आईपीएस अरविंद दिग्विजय नेगी पर आरोप है कि लश्कर ए तोयबा को कथित रूप से सूचना दिया करते थे। कश्मीर के देवेंद्र सिंह के बाद यह दूसरा ऐसा मामला लगता है। अगर यही नाम किसी और मज़हब का होता तो देश में सारी बहस बंद होकर हंगामा मच रहा होता। दूसरी ख़बर हरियाणा की है। आईपीएस सेतिया पर करोड़ों की कर चोरी के आरोप हैं। उन्हें भगोड़ा घोषित किया गया है। यूपी के एक आईपीएस माणिकलाल पाटिदार हत्या के मामले में दो साल से फ़रार चल रहे हैं। सबक है कि जिस नौकरी को अपने इतनी मेहनत से हासिल की है उसकी वर्दी आयाम से नेताओं की जूती पर मत रख दीजिए। कई लोग तो अब विधायक बनने के लिए वर्दी छोड़ रहे हैं। आईपीएस को भी आना चाहिए राजनीति में लेकिन आने का रास्ता भ्रष्टाचार और गठजोड़ का नहीं होना चाहिए।