वे भोले नहीं हैं। सब कुछ जानते बुझते लोगों ने पटना के राजीव नगर में जमीन ली। थाना को घूस देकर मकान बनवाया। अब अवैध निर्माण हटाया जा रहा है तो फिर हाहाकार क्यों? खरीददार तो सजा पा गये। पुलिसवाले और भू माफिया को कब सजा मिलेगी? सवाल यह भी है कि अधिग्रहित जमीन की रजिस्ट्री कैसे हो गई? अवैध निर्माण कराने के एवज में राजीवनगर और दीघा थाने की अकूत कमाई का शेयर कहां-कहां बंटा? क्या इसकी कभी जांच होगी? सजा मिलेगी? आम तो आम बड़े बड़े हाकिमों ने वहां अपनी अवैध हवेली खड़ी कर ली है। यानी बहती गंगा में हाथ धोने से कोई बचा नहीं।
पटना के राजीव नगर में बुलडोजर पर हाईकोर्ट की ब्रेक, दो दिन अतिक्रमण हटाने पर रोक, DM को नोटिस
बिहार की राजधानी पटना में राजीव नगर इलाके के नेपाली नगर में अतिक्रमण पर चल रही बुलडोजर कार्रवाई पर हाईकोर्ट ने दो दिनों के लिए रोक लगा दी है। साथ ही पटना हाईकोर्ट के जज संदीप कुमार ने राजधानी के जिला अधिकारी चंद्रशेखर को तलब किया है। इस मामले की सुनवाई के दौरान पटना हाईकोर्ट ने लोगों के सालों से बने घरों को उजाड़ने पर आश्चर्य भी जताया है। बुधवार 6 जुलाई को अदालत इस मामले में फिर सुनवाई करेगी।
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गौरतलब है कि इस मामले में पटना हाईकोर्ट में दाखिल याचिका में याचिकाकर्ता की ओर से बताया गया कि राज्य की नीतीश कुमार सरकार और आवास बोर्ड ने गैर कानून तरीके से सैंकड़ों मकानों को तोड़ दिया है। याचिका में कहा गया कि यह कार्रवाई दीघा लैंड सेटलमेंट एक्ट के तहत नहीं की गई है, जबकि यह एक्ट इसी के लिए बनाया गया है। याचिका में कहा गया कि नीतीश सरकार और आवास बोर्ड का कार्य पूरी तरह गैरकानूनी है।