इस दिन लगने जा रहा है साल का पहला सूर्य ग्रहण, इस दिन भूलकर भी न करें ये काम, सूर्य ग्रहण का दिन और समय, सूर्य ग्रहण का दिन- 30 अप्रैल, 2022, सूर्य ग्रहण का समय- मध्यरात्रि 12 बजकर 15 मिनट से सुबह 4 बजकर 8 मिनट तक : साल 2022 का पहला सूर्य ग्रहण 30 अप्रैल को लगने जा रहा है. ग्रहण 30 अप्रैल और 1 मई के बीच लगेगा. यह ग्रहण मध्यरात्रि 12 बजकर 15 मिनट से शुरू होगा और सुबह 4 बजकर 8 मिनट तक रहेगा. यह ग्रहण अमावस्या के दिन लग रहा है और इस दिन शनिवार भी है. शनिवार के दिन पड़ने वाली अमावस्या को शनिचरी अमावस्या कहते हैं.
कहां और कैसे दिखेगा साल का पहला सूर्य ग्रहण ? साल का पहला सूर्य ग्रहण दक्षिण अमेरिका के दक्षिण-पश्चिमी भाग, प्रशांत महासागर, अटलांटिक और अंटार्कटिका में दिखाई देगा. भारत के लोग इस ग्रहण को नहीं देख पाएंगे क्योंकि यह सूर्य ग्रहण भारत में नहीं लग रहा है. इसी वजह से यहां सूतक काल भी मान्य नहीं होगा.
सूर्य ग्रहण पर जरूर करें ये काम इस दिन स्नान, दान और पितरों का तर्पण किया जाता है. सूर्य ग्रहण से पहले ही पितरों का श्राद्धकर्म और स्नान दान करना शुभ रहेगा. ज्योतिषाचार्य की मानें तो ग्रहण 30 अप्रैल की रात 12 से शुरू होगा, इसलिए उससे पहले ही पितरों का श्राद्ध और तर्पण करना शुभ रहेगा.
ग्रहण के दौरान न करें यह काम ग्रहण के दौरान नकारात्मक ऊर्जा बढ़ जाती है इसलिए इस समय कोई भी शुभ काम नहीं करना चाहिए. ग्रहण के दौरान सुई में धागा डालने की मनाही की गई है. सूर्य ग्रहण के दौरान ना तो भोजन पकाएं, ना ही काटने-छीलने का काम करें और ना ही भोजन करें. खासतौर पर गर्भवती महिलाएं इस दौरान चाकू-कैंची या किसी भी धारदार चीज का इस्तेमाल न करें, ना ही ये चीजें हाथ में लें. ग्रहण के दौरान यात्रा करने से बचना चाहिए.
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Solar Eclipse 2022: किस राशि में लगेगा सूर्य ग्रहण साल का पहला सूर्यग्रहण मेष राशि में लगेगा. भारत में आंशिक सूर्यग्रहण होने के कारण सूतककाल देश में मान्य नहीं होगा. ये ग्रहण प्रशांत महासागर, अटलांटिक, अंटार्कटिका और दक्षिण अमेरिका के दक्षिण-पश्चिम भाग में दिखाई देगा.
साल 2022 का दूसरा सूर्य ग्रहण इस तारीख को साल 2022 का दूसरा सूर्य ग्रहण 25 अक्टूबर दिन मंगलवार को लगेगा. यह भी आंशिक ग्रहण होगा. हिंदू पंचांग के मुताबिक यह ग्रहण 25 अक्टूबर यानी मंगलवार शाम 04:29 बजे से शुरू होगा और 05:42 बजे तक रहेगा. इसे यूरोप, दक्षिणी/पश्चिमी एशिया, अफ्रीका और अटलांटिका में देखा जा सकेगा. इसका प्रभाव भारत में नहीं पड़ेगा.