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घास की खेती से सालाना 20 लाख की कमाई, लोग समझते थे पागल अब तारीफ़ करते नहीं थकते, पढ़े कहानी

बिहार के गोपालगंज के सदर प्रखंड के कररिया गांव निवासी मेघराज प्रसाद खस की खेती कर खास बन गए हैं। करीब 20 एकड़ में खस की खेती कर वह सालाना 20 लाख रुपए तक की कमाई कर रहे हैं।

साथ ही उन किसानों के लिए प्रेरणास्रोत बने हैं, जिनकी फसलें बाढ़ और बारिश में बर्बाद हो जाती हैं। ऐसे किसानों के लिए खस की खेती किसी वरदान से कम नहीं है।

आत्मनिर्भर और कुछ अलग करने की सोच ने बनाया सफल

कररिया गांव निवासी मेघराज उन सफल किसानों में गिने जाते हैं, जो लोगों के तानों को दरकिनार कर आत्मनिर्भर बने हैं। दो भाइयों और एक बहन में बड़े मेघराज के पिता पेशे से किसान थे।

Meghraj earning up to Rs 20 lakh annually by cultivating khus
खस की खेती कर सालाना 20 लाख रुपए तक की कमाई कर रहे मेघराज

वह अन्य किसानों की तरह ही अपनी खेती करते थे। मेघराज भी अपने पिता के कामों में हाथ बंटाते थे। तब उनकी पारिवारिक स्थिति काफी खराब थी।

नेट पर सर्च कर शुरू की खस की खेती

मेघराज ने अरूणाचल में एक दोस्त की मदद से औषधीय पौधे के बारे में जानकारी ली और नेट पर सर्च कर कम दाम में बेहतर काम करने के लिए खस की खेती के बारे में पता चला।

इसके बाद उन्होंने लखनऊ के सीमैप रिसर्च सेंटर से 20 हजार में 10 हजार बीज खरीदे और अपने खेतों में डाले। शुरुआती दौर में उन्होंने एक बीघे में खेती की, जिसमें एक लाख की आमदनी हुई। देखते ही देखते उन्होंने 20 बीघे में खेती शुरू कर दी।

कहते थे लोग – पागल हो गया है

मेघराज बताते हैं कि उन्होंने जब खेती की शुरुआत की थी तो परिवार समेत आसपास और सगे-संबंधियों ने कई तरह की बातें कहीं। कई लोगों ने उन्हें पागल तक कह दिया कि घास की खेती कर क्या कुछ कर पाएगा।

अगर धान और गेहूं की खेती करता तो कुछ अनाज होता। लेकिन उन्होंने भी सोच रखा था कि कुछ ऐसा करेंगे, जो खास हो। लेकिन अब वही देखकर खुश होते हैं।

17 हजार प्रति लीटर बिकता है तेल

खस के पौधे की जड़ से सुगंधित तेल निकाला जाता है, जो बहुपयोगी है। खासकर इत्र निर्माण में इसका इस्तेमाल किया जाता है। साबुन, सुगंधित प्रसाधन सामग्री निर्माण में इसका इस्तेमाल होता है।

यह फसल विषम माहौल में भी फल-फूल रही है। शून्य से चार डिग्री से लेकर 56 डिग्री तापमान तक में इस पौधे को नुकसान नहीं होता है।

Farmers can earn good profits by cultivating poppy seeds in flood affected areas.
बाढ़ प्रभावित इलाकों में किसान खस की खेती कर अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं

मोतिहारी के पिपराकोठी में पेराई कर खस का तेल निकाला जाता है, जिसकी कीमत 17 हजार प्रति लीटर तक है।

पर्यावरण के अनुकूल खस का पौधा मिट्टी की गुणवत्ता बढ़ाता है। खस का एक पौधा एक साल में 80 ग्राम कार्बन का अवशोषण करता है। इससे प्रदूषण कम करने में भी मदद मिलती है।

ना पानी ना खाद, केवल मुनाफा

मेघराज कहते हैं कि अन्य फसलों के साथ खस की खेती कर एक एकड़ में एक लाख की कमाई कर सकते हैं। खस 10-15 दिन तक पानी में डूबे रहने के बाद भी गलता नहीं है।

इसलिए बाढ़ प्रभावित इलाकों में किसान इसकी खेती कर अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं। इसे लगाने में अलग से कोई विशेष खर्च नहीं होता। अलग से कोई रासायनिक उर्वरक की आवश्यकता नहीं है। कम लागत में ज्यादा मुनाफा मिलता है।

खस की खेती उन इलाकों में भी हो सकती है, जहां पानी कि किल्लत है और वहां भी जहां बाढ़ आती है। इसीलिए पूरे देश में एरोमा मिशन के तहत इसकी खेती को बढ़ावा दिया जा रहा है।

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