पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव के बड़े बेटे तेज प्रताप यादव की साली करिश्मा राय को आखिरकार दानापुर सीट से टिकट नहीं मिला। राष्ट्रीय जनता दल (राजद) ने इस सीट से रीतलाल को टिकट दे दिया है। करिश्मा राय ने अपने चाचा और पूर्व मंत्री चंद्रिका राय के परिवार का विरोध करके राजद ज्वाइन की थी।
उन्होंने परसा और दानापुर सीट से अपनी दावेदारी की थी। दानापुर क्षेत्र में वह पिछले एक महीने से प्रचार भी कर रही थीं। दोनों ही सीटों पर पार्टी अपने उम्मीदवार घोषित कर चुकी है। परसा से राजद ने छोटे लाल राय तो दानापुर से रीतलाल को टिकट दिया है। रीतलाल की उम्मीदवारी तय होने के साथ ही करिश्मा के लिए इस बार चुनाव लड़ने की उम्मीद खत्म हो गई है।
कभी लालू की सीट थी दानापुर
पटना की दानापुर विधानसभा सीट कभी राजद प्रमुख लालू प्रसाद के नाम से जानी जाती थी। वह यहां से 1995 और साल-2000 चुनाव जीते थे। लेकिन पिछले चार चुनावों से राजधानी पटना की यह वीआईपी सीट भाजपा के कब्जे में है। सीट से वर्तमान में भाजपा की आशा सिन्हा विधायक हैं। राजद ने इस बार रीतलाल राय को यहां से अपना सिंबल दिया है। वह करीब डेढ़ महीने पहले ही जेल से जमानत पर निकले हैं।
करिश्मा ने तीन महीने पहले ज्वाइन की थी पार्टी
करिश्मा, तेजप्रताप की पत्नी ऐश्वर्या राय की बहन और पूर्व मुख्यमंत्री दारोगा प्रसाद राय की पोती हैं। उन्होंने तीन महीने पहले राष्ट्रीय जनता दल को ज्वाइन किया था। तब माना जा रहा था कि वह इस चुनाव में उम्मीदवार होंगी। जानकार बताते हैं कि दानापुर से उन्हें चुनाव लड़ाने को महागठबंधन के सीएम कैंडिडेट तेजस्वी यादव ने भी तैयार थे। उन्होंने दानापुर से अपना प्रचार भी शुरू कर दिया था लेकिन आखिरकार रीतलाल की दावेदारी उनकी उम्मीदों पर भारी पड़ गई।
वैसे करिश्मा के अलावा दानापुर से पूर्व डीजी अशोक गुप्ता को भी मजबूत दावेदार माना जा रहा था। उन्होंने पिछला लोकसभा चुनाव निर्दलीय लड़ा था। पिछले दिनों उन्होंने राजद प्रमुख लालू प्रसाद यादव और तेजस्वी यादव से मुलाकात भी की थी लेकिन अंतत: पार्टी का सिंबल हासिल करने में कामयाबी रीतलाल को मिली। हालांकि रीतलाल को सिंबल भी बेहद नाटकीय घटनाक्रम के तहत मिला।
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बताया जा रहा है कि पहले उनके नाम पर पार्टी में सहमति नहीं थी। उनकी पत्नी को टिकट दिए जाने की बात भी चल रही थी। सोमवार की देर रात तक इस बारे में उहापोह की स्थिति थी लेकिन मंगलवार की सुबह होते-होते आखिरकार रीतलाल ने सारे कयासों पर विराम लगाते हुए पार्टी का सिंबल हासिल कर ही लिया।
input: Hindustan