बिहार के युवा बल्लेबाज साकिबुल गनी सुर्खियों में हैं। 22 साल के इस खिलाड़ी ने रणजी ट्रॉफी में इतिहास रचते हुए अपने फर्स्ट क्लास डेब्यू पर तिहरा शतक जड़कर रिकॉर्डबुक में अपना नाम दर्ज कराया। साकिबुल गनी ऐसा करने वाले दुनिया के पहले क्रिकेटर हैं। कोलकाता के सॉल्ट लेक स्टेडियम में साकिबुल गनी नाम का तूफान आया जिसमें मिजोरम के गेंदबाज उड़ गए। साकिबुल गनी की जीवन संघर्षों से भरा हुआ रहा है। इस आर्टिकल के माध्यम से हम आपको बातएंगे इस युवा खिलाड़ी की लाइफ से जुड़ा वो पहलू जिससे काफी कम लोग परिचित होंगे। साकिबुल गनी की सफलता के पीछे जितना हाथ उनकी कड़ी मेहनत का है उससे कहीं ज्यादा योगदान उनकी मां का भी रहा है।
मां ने गहने गिरवी रखकर दिलाया बेटे को बैट
साकिबुल गनी का इंटरेस्ट शुरू से ही क्रिकेट में रहा था लेकिन, उनके पास क्रिकेट बैट तक खरीदने के लिए पैसे नहीं थे। एक अच्छा क्रिकेट बैट 35 से 40 हजार रुपए तक का आता है ऐसे में गरीब परिवार से ताल्लुक रखने वाले साकिबुल गनी महंगे बैट को खरीद पाएं इस बात की संभावना तकरीबन ना के बराबर थी।
लेकिन, मां तो मां ही होती है। बेटे को दुखी देखकर मां ने बड़ा फैसला करते हुए अपने गहने गिरवी रखकर बेटे को बैट दिलाया। मां के इस त्याग ने साकिबुल गनी को जो हौंसला दिया उसका परिणाम अब दिख भी रहा है। मिजोरम के खिलाफ गनी ने 405 गेंद पर 341 रन बनाए। इस पारी के दौरान उन्होंने 56 चौके और 2 छक्के जड़े।
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मां ने बेटे को 3 बैट देकर कहा था तीन शतक लगाकर आना
साकिबुल गनी के बड़े भाई फैसल ने बताया कि कभी भी उनकी मां ने पैसे की कमी महसूस नहीं होने दी। जब भी उनके परिवार पर परेशानी आती तो मां गहने गिरवी रखकर मदद कर देती थी। फैजल ने कहा, ‘जब मेरा छोटा भाई टूर्नामेंट खेलने के लिए जा रहा था तब मेरी मां ने उसे 3 बैट दिए और कहा- जाओ बेटा तीन शतक लगा कर आना।’ यह भी पढ़ें: इस इंडियन क्रिकेटर से शादी करना चाहती थीं प्रियंका चोपड़ा