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OYO Rooms:17 साल की उम्र में कॉलेज छोड़ की शुरुआत आज 22 साल की छोटी सी उम्र में खड़ा किया 70000 करोड़ का एम्पायर

आप सब ने एक कहावत सुना होगा की “होनहार बिरवान के होत चिकने पात” अर्थात होनहार व्यक्ति का काबिलियत का पता बचपन में ही चल जाता है। इस बात को सिद्ध किया 23 वर्ष के बालक ने। इस बालक ने बहुत ही करीबी से गरीबी और संघर्ष देखा है। इस बच्चे की गरीबी का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है की दिल्ली में मस्जिद मोठ इलाके में मकान का किराया न देने के कारण मकान मालिक ने उन्हे मकान में प्रवेश करने से मना कर दिया।जिसके बाद पूरी रात सीढ़ियों पर गुजारना पड़ा था तो आइए जानते हैं इसमें बालक के किये संघर्ष के बारे में।

17 साल की उम्र में बनाया कमाल का आइडिया

इस उम्र में बच्चे अपने भविष्य के लिए सोचते हैं आगे के लिए खुद को तैयार करते हैं उस उम्र में 17 साल के बालक ने ऐसा आईडिया निकाला उसके बारे में ना तो किसी ने तो सुना होगा और ना ही सोचा होगा। हम बात कर रहे हैं उड़ीसा के रितेश अग्रवाल जिन्होंने बिना कॉलेज की पढ़ाई पूरी होने के बावजूद महज 18 साल की उम्र में कंपनी के सीईओ बने। अपने आइडिया के बदौलत ही यह इतनी कम उम्र होने के बावजूद सफल बिजनेसमैन के लिस्ट में शामिल है।

रितेश को बचपन से ही कोडिंग में गहरी रुचि थी इस वजह से महज 8 साल की उम्र में ही उन्होंने कोडिंग करनी शुरू कर दी थी 16 वर्ष की उम्र में रितेश को मुंबई स्थित टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ फंडामेंटल रिसर्च मैं आयोजित एशियन साइंस कैंप के लिए चुना गया था। इसके में एशियाई के मूल छात्र किसी भी क्षेत्र विशेष की समस्याओं पर विचार करके साइंस और टेक्नोलॉजी की मदद से उसका हाल ढूंढते हैं। जानकारी के लिए आपको बता दें यह कैंप एक वार्षिक संवाद मंच है।

यात्रा के दौरान बिजनेस का आइडिया आया

वैसे ललितेश को यात्रा करने का काफी शौक है जिस वजह से यात्रा के दौरान ठहरने के लिए वे हमेशा सस्ता होटल खोजा करते थे। कई शहरो मे तो उन्हे सस्ते होटल भी मिलना मुश्किल था और अगर मिल भी जाते थे तो उस होटल की स्थिति बहुत ही खराब रहती थी।इन्ही सब हालात को झेलने के वजह से उनके मन मे आया की होटल से संबंधित कोई बिजनेस शुरू किया जाए कि उस वक्त उन्हें अंदाजा नहीं था कि उनका यह आईडिया billion-dollar का है।

उनका यह विचार था कि क्यों ना एक ऐसा मॉडल बनाया जाए जिसमें यात्रा के दौरान सस्ते मैं अच्छे होटल की व्यवस्था हो। इसके बाद 18 साल की उम्र में ही रितेश ने “ओरावल-स्टे” नाम की एक कंपनी खोली। इस कंपनी का एकमात्र उद्देश्य था ट्रैवलर्स को कम समय के लिए कम दामों पर होटल्स को उपलब्ध करवाना इस कंपनी की सबसे खास बात यह थी कि इसे कोई भी आसानी से ऑनलाइन बुकिंग कर सकता है। हालांकि भारत में उस वक्त ऑनलाइन बुकिंग की सुविधा मौजूद थी।

कंपनी वेंचरनर्सरी से प्राप्त हुआ 30 लाख का फंड

अपने बजट के अनुसार होटल आने वालों के लिए यह एक अनोखी पहल थी। कंपनी शुरू होने के कुछ महीनों के अंदर ही स्टार्टअप शुरू करने वाली कंपनी वेंचरनर्सरी से 3000000 का फंड भी प्राप्त हुआ। इस सफलता के बाद भी रितेश के हौसलों को एक नई उड़ान मिल गई। फंडिंग मिलने के बाद रितेश अपनी कंपनी को बढ़ाने के लिए और भी उत्सुक हो गए।

इसी दौरान थेल फाउंडेशन द्वारा साले तो वैश्विक प्रतियोगिता भी उन्होंने बाजी मारी और उन्हें फेलोशिप के रूप में लगभग 66 लाख की धनराशि मिली के बाद इन सारे पैसों को मिलाकर उन्होंने अपनी कंपनी और भी बेहतर ढंग से शुरू किया। परंतु दुर्भाग्यवश बिजनेस मॉडल इच्छा अनुसार लाभ देने में असफल रहा जिस कारण “ओरावेल-स्टे” कंपनी धीरे-धीरे घाटे में चल गया।

ओयो (oyo) रूम्स की स्थापना

अपनी गलतियों से रितेश ने हार नहीं मानी और नए सिरे से ओयो रूम्स की स्थापना की।इस ओयो रूम्स का उद्देश्य ना सिर्फ ट्रैवलर्स को होटल में कमरे मुहैया कराना बल्कि होटल में मिलने वाली सुविधाओं के गुणवत्ता का भी ख्याल रखना है। इसके लिए कंपनी ने कुछ मानको को निर्धारित किया। रितेश का यह आईडिया इतना सक्सेसफुल था कि कुछ ही दिनों में लाइट स्पीड वेंचर्स पार्टनर्स और डी स जी कंज्यूमर पार्टनर्स, सिंगापुर के तरफ से तकरीबन 4 करोड़ रुपए मिले ताकि कंपनी को और आगे तक ले जाया जाए।

सिर्फ 10 महीनों के बाद कंपनी का मूल्यांकन $80 मिलियन का हो गया।लाइटस्पीड वेंचर पार्टनर्स ने सेकोईआ कैपिटल के साथ मिलकर रितेश की कंपनी 36 करोड़ और निवेश किया। उसके बाद कंपनी को एक के बाद एक फंड मिलते गए। जिसके बदौलत आज ओयो रूम की कुल वैल्यूएशन 70 हजार करोड़ के पार है।

मॉडल के साथ कई कंपनी आगे आई

ओयो रूम्स का आईडिया जब पूरे देश भर में चलने लगा तब और भी कई कंपनी इस मॉडल के साथ आगे आई। ओयो रूम्स के टक्कर में जॉस्टल समूह द्वारा एक रूम्स सामने आया। जिसने ओयो रूम्स को पूरा बाजार में टक्कर दे रहा था।  किंतु ओयो रूम्स की लोकप्रियता के आगे वह ज्यादा दिन टिक नहीं पाया ओयो रूम्स से उसे भी खरीद लिया।

ओयो रूम्स मे आज 15000 से भी ज्यादा होटलों की श्रृंखला है और 1000000 कमरों के साथ देश की सबसे बड़ी आराम देह एवं दामों पर लोगों को कमरे उपलब्ध कराने वाली कंपनी बन चुकी है। इतना ही नहीं रितेश अग्रवाल उस युवा उद्यमियों के कतार में शामिल है जिन्होंने इतनी कम उम्र में ही 70 हजार करोड़ का साम्राज्य खड़ा कर दिया।